देहरादून। उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार पर संकट गहराता जा रहा है। सरकार को 28 मार्च 2016 को विधानसभा के पटल पर विश्वासमत हासिल करना है।
अभी तक सरकार इस मुगालते में थी कि कांग्रेस के बागी विधायकों पर दल बदल कानून लागू होगा और पूरे 9 बागी विधायक मतदान के अयोग्य हो जाएंगे और सरकार सदन में बहुमत साबित कर लेगी लेकिन विश्वस्त सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार राजभवन ने विधानसभा अध्यक्ष को बागी विधायकों पर दलबदल कानून लागू करने की जल्दबाजी न दिखाने का निर्देश दिया है।
हालांकि विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल ने अभी ऐसे किसी निर्देश के मिलने से इंकार किया है लेकिन यदि ऐसा हुआ तो हरीश रावत सरकार का सदन में गिरना तय है। इस दृष्टि से देखे तो 28 मार्च की तारीख प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में बहुत खास दिन होगा। पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की नज़र उस दिन उत्तराखंड पर होगी।
28 मार्च के शक्ति परीक्षण को लेकर भाजपा और कांग्रेस समेत बागियों की तरफ भी जबरदस्त तैयारी चल रही है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो यदि सदन में सरकार विश्वासमत हासिल करने में असफल रहती है तो उस दशा में राज्यपाल भाजपा को भी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते है।
भाजपा के निकटतस्थ सूत्रों की माने तो भाजपा आठ नौ महीने की अल्पकालीन सरकार बनाने के लिए कतई राजी नहीं होगी उस स्थिति में भाजपा बागियों को बाहर से समर्थन देकर सरकार गठन का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। यदि ऐसा होता है तो राज्य में सत्ता की चाभी तो भाजपा के पास ही रहेगी लेकिन सत्ता का सिंहासन जरूर बागियों का नेतृत्व कर रहे विजय बहुगुणा या डा. हरक सिंह रावत को मिल सकता है।
भाजपा सरकार गिराने में कामयाब होगी इसकी संभावना आज तब और प्रबल हो गई जब शक्तिमान घोड़े की टांग तोड़ने के आरोपी भाजपा विधायक गणेश जोशी को उक्त मामले में बेल मिल गई और उनकी जेल से रिहाई हो गई। अभी तक कयास लगाया जा रहा था कि बहुमत परीक्षण के दिन न्यायालय उन्हें मतदान में भाग लेने के लिए अनुमति नहीं देगा। लेकिन उनकी रिहाई से नंबर गेम में भाजपा और मजबूत हो गई है।
उधर मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी 28 मार्च को सदन में कुछ अनहोनी होने की आशंका दिखाई पड़ रही है इसीलिए बार बार बहुमत हासिल कर लेने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री के सुर अब बदलने लगे है। आज यहां मुख्यमंत्री ने बयान दिया कि वे शहीद होने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भाजपा की शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार राज्य में धनबल की अकड़ में लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ कर रही है।
मुख्यमंत्री ने आज यहां बागी विधायकों के उन आरोपों का भी जवाब दिया जिसमें कहा कि गया है कि मुख्यमंत्री ने उनके विधानसभा क्षेत्रों में विकास की उपेक्षा की। सीएम ने कहा कि नौ बागी विधायकों के क्षेत्रों में कुल मिलाकर लगभग आठ हजार करोड़ के कार्य कराए गए है। उन्होंने कहा कि इसमें से 178 करोड़ का काम तो अकेले केदारनाथ की विधायिका शैलारानी रावत के क्षेत्र में कराया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री व सितारगंज के विधायक विजय बहुगुणा के क्षेत्र में सरकार ने उन कार्यो को भी पूरा किया जिसे खुद बहुगुणा मुख्यमंत्री रहते नहीं करवा पाए। हालांकि मुख्यमंत्री आज अपने पुराने अंदाज से किनारा करते दिखे। उन्होंने बागी विधायकों पर कोई तल्ख टिप्पणी करने से परहेज किया।
भाजपा के विधायक दिल्ली और कांग्रेस के जयपुर में
अब दोनों पक्षों से जोरआजमाईश अपने चरम पर है। भाजपा के सभी 26 विधायक आज जहां दिल्ली में अपने केन्द्रीय कार्यालय पर जमे रहें वही कांग्रेस के बागी विधायक राजस्थान की राजधानी जयपुर के पांच सितारा होटल में देखे गए।
उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने साथ के सभी विधायकों को रामनगर और जिमकार्बेट में अलग अलग जगह ठहराया हुआ है। इन सभी विधायको की माॅनिटरिंग सीएम के खास रंजीत रावत और हरीश धामी कर रहे है। पल प्रतिपल बदलती राज्य की राजनीतिक फिंजा में अब अफवाहों को भी पंख लग गए है।
राजधानी में उड़ती रही अफवाहें
मंगलवार को दिन भर यहां राजधानी में तरह तरह की अफवाहें उड़ती रही। कही पर कहा गया कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हार मान ली है और वे इस्तीफा देंगे जबकि इंदिरा हृदयेश अब नई मुख्यमंत्री होंगी। उनके नाम पर बागी विधायकों ने भी मुहर लगा दी है।
एक अन्य अफवाह में कहा कि गया कि बागियों का नेतृत्व कर रहे डा. हरक सिंह रावत की कांग्रेस आलाकमान से बात हो गई है और वे वापस कांग्रेस का साथ देने को तैयार हो गए है। उन्होंने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है। हालांकि इन अफवाहों की सत्यता देर रात तक स्पष्ट नहीं पाई थी।