नई दिल्ली। रक्षा विशेषज्ञ पी.के सहगल ने शुक्रवार को कहा कि आतंकी डेविड कोलमेन हेडली द्वारा किए गए खुलासों से साबित होता है कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान की संपत्ति रहे हैं। साथ ही हेडली के दावों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में भारत ने किसी नागरिक या स्कूल पर हमला नहीं किया।
हेडली के भारत से नफरत करने वाले बयान पर सहगल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि हेडली के खुलासों से यह साफ है कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद पाकिसतान की संपत्ति रहे है, जिन्हे वह पाल-पोस रही है। इसके साथ ही इन संगठनों को पाकिस्तान की सेना और आईएसआईएस का सहयोग भी है। जिस कारण वह आतंकी गतिविधियों को अंजाम देती आ रही है।
सहगल ने आगे कहा कि पाकिस्तान यह कहता आया है कि उसका लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद पर कोई नियंत्रण नहीं है। लेकिन हेडली के खुलासे के बाद पाक का सच सबके सामने आ गया है। पाकिस्तान का धोखा सामने आने के बाद भारत को उसी प्रकार अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए जैसा उसने 48, 71 और 99 के सैन्य अभियान के दौरान दिया था।
इसके साथ ही 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना चाहिए क्योंकि युद्ध की शुरूआत इस्लामाबाद से हुई थी। जिसमें भारत ने किसी भी आम नागरिकों अथवा स्कूलों को निशाना नहीं बनाया था।
उन्होंने कहा कि हेडली की यह दलील की उसको भारत से नफरत तब हुई जब भारत ने उसके स्कूल पर गोलाबारी की जिसमें वह पढ़ रहा था, अगर सत्य है तो इसके लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है।
सब जानते हैं कि 1971 के युद्ध की शुरूआत पाकिस्तान ने ही की था। जिसका भारत ने करारा जवाब दिया था, लेकिन इस दौरान भारत ने पाक के नागरिकों या स्कूलों को निशाना नहीं बनाया, जब तक वह स्कूल भारत के खिलाफ किसी सैन्य गतिविधियों में शामिल नहीं हो।
जानकारी हो कि पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमेन हेडली ने मुम्बई की एक अदालत के सामने बताया कि उसे 7 दिसंबर 1971 के बाद से ही भारत औऱ भारतवासियों से नफरत हो गई थी, जब भारतीय वायुसेना के विमानों ने उसके स्कूल पर हमला किया था।
भारत-पाक युद्द के दौरान अपने स्कूल को बम से उड़ाए जाने के बाद से ही उसने भारतीयों से बदला लेने के लिए ही आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने की ठान ली थी। उस वक्त वह उम्र 11 साल था।