शिमला। सदन में दोपहर बाद शिक्षा विभाग पर महेंद्र सिंह द्वारा लाए गए कटौती प्रस्ताव पर जब भाजपा सदस्य रिखी राम कौंडल बोलने के लिए खड़े हुए, तो कुछ समय बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सदन में उपस्थित होकर उन्हें कई मर्तबा टोका और शिक्षा विभाग में खाली पड़े पदों पर तीखी नोकझोंक देखने को मिली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सदस्य उनके विधानसभा क्षेत्र में स्कूल खोलने की नोटिफिकेशन से नाखुश हैं, तो वो लिख कर दें, जिसके बाद वो इसे डीनोटिफाई कर देंगे। जिस पर सदस्य लाल हो गए और बार-बार खाली पड़े पदों पर प्रदेश सरकार को धन्यवाद देने लगे।
तल्खी में जब वो अपना भाषण विराम दे रहे थे, तो उन्होंने अपने पार्टी के सदस्य द्वारा लाए गए कटौती प्रस्ताव का समर्थन करने से इंकार कर डाला और इस पर सदन में ठहाके बजे और सतापक्ष के सदस्यों ने रिखी राम कौंडल को घिरते हुए उनकी खासी खिली उड़ाई।
बाद में जब स्पीकर ने उन्हें पूछा कि क्या वो सच्च में अपनी पार्टी के सदस्य द्वारा लाए गए कटौती प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर रहे हैं, तो कौंडल ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि कई मर्तबा सतापक्ष के सदस्य मुख्यमंत्री को भी इतना उलझा देते हैं कि वो भी गलत वक्तव्य दे देते हैं। इसी तरह सदन में हुई टोकाटोकी के बीच में उनकी जबान फिसली है और वो महेंद्र सिंह द्वारा लाए गए कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते हैं।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने सदन में उनके कार्यकाल के दौरान 13 हजार 730 पद अकेले शिक्षा विभाग में सृजित करने की बात करते हुए भाजपा सदस्य को कहा कि वो सदन को गुमराह कर रहे हैं और उनका वक्तव्य तथ्यों से विपरीत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके इस कार्यकाल में प्रदेश में 5132 लैक्चरर, 1528 टीजीटी, 985 सीएंडवी, 646 प्रिंसीपल, 586 एसिस्टैंट प्रोफेसर नियुक्त किए गए हैं और खाली पड़े पदों को पदोन्नति और पुर्ननियुक्ति के माध्यम से भी भरा जा रहा है।
उन्होंने रिखी राम कौंडल के उस वक्तव्य को नकारते हुए जिसमें उन्होंने कहा था कि अकेले प्राथमिक स्कूलों में 985 पद अध्यापकों के खाली पड़े हैं, जिसे अधिकांश भर दिया गया है।