सिंहस्थ उज्जैन का महान धार्मिक पर्व है। बारह वर्षों के अन्तराल में यह पर्व तब मनाया जाता है, जब बृहस्पति सिंह राशि पर स्थित रहता है। मोक्षदायिनी पुण्य सलिला शिप्रा में पुण्य स्नान चैत्र मास की पूर्णिमा से प्रारम्भ होता है और पूरे मास में वैशाख पूर्णिमा के अन्तिम स्नान तक विभिन्न तिथियों में स्नान सम्पन्न होते हैं।
उज्जैन में आयोजित होने वाले इस महापर्व के लिए 3200 करोड़ रूपए के निर्माण कार्यों से उज्जयिनी पूरी तरह से सज-संवर गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साधु-सन्तों की सुविधा के लिए सभी तेरह अखाड़ों में निर्माण कार्य करवाए हैं। वहीं सम्पूर्ण उज्जैन शहर में बड़ी संख्या में विकास एवं निर्माण कार्य कराए गए हैं।
सिंहस्थ में आने वाले लगभग पांच करोड़ श्रद्धालुओं के स्वागत के लिये सजी-संवरी धार्मिक नगरी उज्जयिनी पूरी तरह से तैयार है। यहां साधु-सन्तगणों का आगमन भी प्रारम्भ हो गया है। तेरह अखाड़े सिंहस्थ की प्रमुख पहचान हैं। साधु-समाज मुख्यत: तेरह अखाड़ों में बंटा है। सभी अखाड़ों के अपने-अपने इष्टदेव, ध्वज, चिन्ह और सम्बोधन वाक्य हैं।
इन अखाड़ों में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी, श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा, श्री शंभुपंच अग्नि अखाड़ा, श्री शंभु पंचायती अटल अखाड़ा, श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा, श्री अखिल भारतीय पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच रामानंदीय दिगंबर अणि अखाड़ा, श्री पंच रामानंदीय निर्मोही अणि अखाड़ा शामिल है।
अखाड़ों का इतिहास एवं परम्परा
श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी बड़नगर रोड, उज्जैन के मेला प्रबंधक महंत श्री रवीन्द्रपुरी जी ने बताया कि अखाड़े की स्थापना आदि शंकराचार्य द्वारा ईस्वी सन 828 में की गई थी। इस अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी श्री पुण्यानंद गिरीजी हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के महंत श्री रामानंद पुरीजी, मेला अध्यक्ष हैं।
महंत नरेंद्र गिरीजी, महंत लालता गिरीजी, आशीष गिरीजी सचिव हैं। प्राचीन काल में अखाड़े की स्थापना सनातन धर्म को बचाने के लिए सैनिक संरचना के केंद्र के रूप में की गई थी। वर्तमान में सनातन धर्म एवं सनातन शिक्षा के प्रचार-प्रसार का कार्य अखाड़ों द्वारा किया जा रहा है।
श्रीपंचायती अखाड़ा नया उदासीन का इतिहास अति प्राचीन है। भगवान श्री ब्रम्हाजी के चार मानस पुत्रों में से एक ने वर मांग कर बाल रूप में रहने की इच्छा जताई। तपस्या की और समुदाय चलाया। तभी से अखाड़े की स्थापना हुई। अखाड़े में पंच परमेश्वर-पंच पूजा की परंपरा है। भगवान विष्णु श्री शंकरजी, सूर्य नारायणजी, श्री गणेशजी की आरती पूजा होती है। नया उदासीन अखाड़े से जुड़े महंत साधु संतगण देश में निरंतर भ्रमण कर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करते हैं।
श्रीपंच दशनाम आवाहन अखाड़े की स्थापना प्रथम अखाड़े के रूप में आदि श्री शंकराचार्य द्वारा की गई थी। इसके बाद अटल अखाड़ा महा निर्वाणी अखाड़ा, आनन्द अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, जूना अखाड़ा और अग्नि अखाड़े की स्थापना हुई। अखाड़े में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद सभी कार्य पूजा, अर्चना समान ही माने जाते हैं। श्रीसिद्ध गणेश भगवान अखाड़े के आराध्य देव हैं।
श्रीपंचायती निर्मल अखाड़े का इतिहास लगभग दो सौ साल पुराना है। इसके प्रथम श्री महंत श्री मेहताबसिंह जी है। गुरु नानकदेव जी ने इस सम्प्रदाय की शुरुआत की। इष्ट गुरु, गुरुग्रंथ साहिब है। सतनाम पद्धति प्रचलित है। इस अखाड़े के साधु, संत, महंत सनातन धर्म एवं संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हैं। अखाड़े में श्री गुरुग्रंथ साहिबजी की पाठ पूजा की परंपरा है।
श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की स्थापना विक्रम संवत् 1825 में गंगा तट राजघाट कनखल में हुई थी। श्री गुरू अविनाशीमुनिजी उदासीन सम्प्रदाय के 164वें आचार्य थे। आचार्य श्री चन्द्रजी 165वें आचार्य हुए। गुरू अविनाशीमुनिजी जन-जागरण व समाजोत्थान के लिये अजमेर में अवतरित हुए। वे बाल्य अवस्था में ही सन्यासी हो गये थे। उन्होंने भारतीयसमाज एवं संस्कृति के उत्थान के लिये देशभर में भ्रमण किया। उन्होंने ने ही आचार्य श्रीचन्द्रजी को उदासीन दीक्षा प्रदान की।
श्रीशंभु पंच अग्नि अखाड़ा की स्थापना 1138 में हुई थी। इसका मुख्यालय राजघाट काशी में है। इस अखाड़े के पीठाधीश्वर श्री रामकृष्णानंदजी महाराज हैं। अखाड़े में 28 श्रीमहंत एवं 16 सदस्यों की कार्यकारिणी अखाड़े का प्रबंधन कार्य देखती है। इस अखाड़े के सभापति श्रीमहंत गोपालानंद जी ब्रम्हचारी, सचिव श्रीमहंत गोविंदानंदजी ब्रम्हचारीजी हैं।
उज्जैन अखाड़े के थानापति एवं उज्जैन सिंहस्थ प्रभारी श्रीमंत सुदामानंदजी ब्रम्हचारी (लालबाबा ) हैं। अखाड़े की आराध्य देवी मां गायत्री हैं। जगतगुरु आदि शंकाराचार्य द्वारा स्थापित परंपराओं के अधीन अखाड़े का संचालन होता है। यह अखाड़ा पूर्णत: ब्राम्हणों का अखाड़ा है। ब्राहम्हणों को ही अखाड़े में दीक्षा दी जाती है। अखाड़े के साधु ब्रम्हचारी होते हैं।
श्रीतपोनिधि श्रीआनन्द अखाड़ा पंचायती की स्थापना 1846 में बरार क्षेत्र में हुई थी। इस अखाड़े का मुख्यालय कपिलधारा काशी में है। आचार्य महामण्डलेश्वर श्री ज्ञानानंदजी महाराज अखाड़े के पीठाधीश्वर है। महन्त धनराजगिरी महाराज, महन्त कालूगिरीजी महाराज, कैलाशगिरी महाराज, लक्ष्मण भारतीपुरी महाराज इस अखाड़े के मेला व्यवस्थापक है।
महन्त कल्याणगिरी जी महाराज, महन्त शांतिपुरी महाराज, महन्त तपनभारती महाराज, महन्त बालकगिरी महाराज इस अखाड़े के सचिव है। अखाड़े में 14 महन्तों की कार्यकारणी है। महन्त जगदीशगिरी महाराज इस अखाड़े के अध्यक्ष है। अखाड़े के आराध्यदेव भगवान श्री सूर्यनारायण है।
श्रीशंभु पंच अटल अखाड़ा की स्थापना जगतगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी। अखाड़ों का मुख्य कार्य सैनिकों की छावनी के रूप में सनातन धर्म की रक्षा करना रहा है। अखाड़े के साधु संत सनातन धर्म का प्रचार प्रसार का कार्य करते हैं। अखाड़े में कथावाचक, महामंडलेश्वर, कथा वाचन एवं प्रवचन आदि के द्वारा सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हैं। अखाड़े में चार श्रीमहंत श्री महंत सतीश् गिरजी, श्रीमहंत हरि गिरजी, महंत ब्रम्हपुरी, महंत प्रेमगिरी हैं। सचिव महंत उदयगिरी, महंत सनातन भारती हैं।
भगवान श्री गणेश अखाड़े के आराध्य देव हैं। अखाड़े में नागा दीक्षा की परंपरा है। नियमित रूप से पूजा आरती, साधु संतों की शिक्षा दीक्षा दी जाती है। अखाड़े की प्रबंधनकारिणी का चुनाव 6 व 3 साल में होता है। महंत श्री प्रेमगिरी जी का कहना है कि सिंहस्थ पूरी तरह से सफल रहेगा। लोग सुखी व संपन्न रहे उनका जीवन शांतिमय हो। इसी मंगल कामना के साथ साधु संतगण सिंहस्थ में यज्ञ, हवन प्रवचन का आयोजन करेंगे।
निर्मोही अखाड़ा का मुख्यालय अयोध्या, वृन्दावन, गोवर्धन, चित्रकूट, उज्जैन, पुरी, हरिद्वार में है। अखाड़े की ध्वजा सफेद रंग की होती है। अखाड़े की स्थापना 1400 ईस्वी में श्री बालागंगाचार्य जी महाराज द्वारा की गई थी। अखाड़े के आराध्य देव भगवान हनुमान जी हैं। पीठाधीश्वर श्रीमंहत कविरामदास महाराज हैं। जगदगुरू बल्लाभाचार्य जी सूरत है।
अखाडे में श्रीराम लला बिराजमान होकर उनकी पूजा होती है। हनुमानजी की पूजा होती है। चरण पादुका पूजन होता है। इस अखाड़े में लगभग 1200 साधु संत महात्मा जुड़े हैं। वर्तमान में दो श्रीमंहत श्री अयोध्यादास जी महाराज एवं श्रीमंहत श्रीराजेन्द्रदास महाराज है। स्थानीय महंत महेशदास महाराज हैं। अखाड़ों की स्थापना सैनिक छावनी के रूप में हुई थी।
श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा़ की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य ने की थी। अखाड़े का पंजीयन एक्ट 21 लखनऊ के तहत 1860 में हुआ। सनातन धर्म की रक्षा एवं प्रचार-प्रसार के साथ ही अखाड़े के नागा साधु शास्त्र व शस्त्र कला में पारंगत होते है। सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र चलाने में दक्ष है। अखाड़े का मुख्यालय बड़ा हनुमान घाट बनारस में है। उज्जैन में रामघाट के सामने शिप्रा तट दत्त अखाड़ा पर जूना अखाड़े का मुख्यालय है।
भगवान श्रीदत्तात्रय अखाड़े के आराध्य देव है। अखाड़े की स्थापना सैनिक छावनी की परिकल्पना के साथ हुई थी। बाद में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार नागा साधुओं का प्रमुख कार्य हो गया है। सिंहस्थ में इस अखाड़े की धर्म ध्वजा 52 हाथ की रहेगी। धर्म ध्वजा सनातन धर्म का प्रतिक है। धर्म ध्वजा के नीचे ही नागा साधुओं को संस्कार, संकल्प एवं दीक्षा दी जाती है। धर्म ध्वजा पूजन के साथ ही साधु-संतों का कुंभ प्रारम्भ हो जाता है।
श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की स्थापना विक्रम संवत 805 में हुई थी। इस अखाड़े के आराध्य देव श्री कपिल मुनिजी महाराज हैं। सनातन धर्म की रक्षा एवं प्रचार-प्रसार के साथ ही अखाड़े के साधु शस्त्र और शास्त्रकला में पारंगत हैं। अखाड़े का मुख्यालय इलाहाबाद में है, पीठाधीश्वर श्रीविश्वकान्तनंद भारतीजी हैं।
श्रीपंचरामानंदीय दिगंबर अणि अखाड़े की स्थापना लगभग 700 वर्ष पूर्व हुई थी। जगदगुरू बालनंदाचार्य एवं श्री रामानंदाचार्य ने अखाड़े की स्थापना की थी। वैष्णव सम्प्रदाय के इस अखाड़े की उज्जैन, चित्रकूट, नासिक, अयोध्या, वृंदावन एवं जगन्नाथपुरी में प्रमुख शाखाएं हैं। इस अखाड़े के अणि प्रमुख श्रीमहन्त कृष्णदासजी महाराज हैं। उज्जैन के प्रभारी श्रीमहन्त रामचंद्रदासजी हैं। अखाड़े के देशभर में 450 के लगभग खालसा हैं। भगवान श्री सीतारामजी एवं श्री हनुमानजी अखाड़े के आराध्यदेव हैं।
श्रीपंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा के प्रमुख श्री महंत धर्मराजजी महाराज हैं। अखाड़े का मुख्यालय अयोध्या में है। अखाड़े के पूरे देश में 250 के लगभग महामंडलेश्वर हैं। भगवान श्री राम-सीता अखाड़े के आराध्य देव हैं, जबकि अखाड़े के ध्वज में श्री हनुमान जी विराजित रहते हैं। अखाड़े की धर्मध्वजा रोहण एवं पेशवाई का कार्यक्रम अभी तय नहीं हुआ है। अखाड़े के सिंहस्थ मेला प्रभारी महंत दिग्विजयदास महाराज हैं।
अखाड़ों की पेशवाई
सिंहस्थ-2016 में अखाड़ों की पेशवाई (शोभायात्रा) धूमधाम से हाथी, घोड़ों, बग्घियों व बैण्ड-बाजों के साथ भव्य रूप से निकलती है। पड़ाव स्थल से पेशवाई प्रारम्भ होती है, जिसमें अखाड़े के सभी साधु-सन्त, श्रीमहन्त व महामण्डलेश्वर शामिल होते हैं।
श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा की पेशवाई 5 अप्रेल को नीलगंगा से, श्रीपंचायती आवाहन अखाड़ा की पेशवाई 10 अप्रेल को नीलगंगा से, श्रीतपोनिधि निरंजनी अखाड़ा की पेशवाई 11 अप्रेल को सख्याराजे धर्मशाला से, श्री पंचायती अग्नि अखाड़ा की पेशवाई 14 अप्रेल को सख्याराजे धर्मशाला से, श्रीपंचायती आनंद अखाड़ा की पेशवाई 15 अप्रेल को नीलगंगा से, श्रीपंचायती नया उदासीन अखाड़ा की पेशवाई 17 अप्रेल को नीलगंगा से, श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की पेशवाई नीलगंगा से, श्रीशंभु पंच अटल अखाड़ा की पेशवाई 19 अप्रेल को नीलगंगा से, श्रीनिर्मल अखाड़ा की पेशवाई 19 अप्रेल को सख्याराजे धर्मशाला से, श्रीपंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा की पेशवाई 20 अप्रैल को शिवाजी पार्क अलखधाम से प्रारम्भ होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होती हुई मेला क्षेत्र में स्थित अपनी-अपनी छावनियों में पहुंचना प्रस्तावित है। श्रीनिर्वाणी अणि अखाड़ा, श्रीदिगंबर अणि अखाड़ा एवं श्रीनिर्मोही अणि अखाड़ा की पेशवाई की तिथियां एवं मार्ग अभी अपेक्षित हैं।
सिंहस्थ में स्नान की तिथियां
सिंहस्थ-2016 में शिप्रा में स्नान का काफी महत्व है। इस सिंहस्थ का प्रारम्भ स्नान चैत्र शुक्ल 15 शुक्रवार 22 अप्रेल को होगा। दूसरा स्नान एकादशी व्रत वैशाख कृष्ण 11 मंगलवार 3 मई को, तीसरा स्नान वैशाख कृष्ण 30 शुक्रवार 6 मई को, चौथा स्नान अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल 3 सोमवार 9 मई को, पांचवा स्नान वैशाख शुक्ल पंचमी बुधवार 11 मई को, छठा स्नान वैशाख शुक्ल नवमी रविवार 15 मई को, सातवा स्नान वैशाख शुक्ल 11 मंगलवार 17 मई, आठवा स्नान वैशाख शुक्ल 13 गुरूवार 19 मई को, नौवां स्नान वैशाख शुक्ल 14 शुक्रवार 20 मई को, अन्तिम प्रमुख स्नान वैशाख शुक्ल पूर्णिमा शनिवार 21 मई को होगा।
अदभुत व अद्वितीय निर्माण कार्यों से उज्जैन बना स्मार्ट सिटी
इस बार का सिंहस्थ अभी तक के सभी सिंहस्थों में काफी सराहनीय व अद्वितीय है। शासन प्रशासन एवं सरकार ने मिलकर साधु-सन्तों की पूर्ण सेवा की, कोई कमी नहीं रखी, सभी निर्माण कार्य भी सराहनीय हैं। महाकुंभ के कारण धार्मिक नगरी उज्ज्यिनी का स्वरूप बदल गया है। उज्जैन स्मार्ट सिटी बन गया है।
-श्रीमहन्त सुदामानंद ब्रह्मचारी (लाल बाबा)
कुंभ प्रभारी श्रीपंच अग्नि अखाड़ा उज्जैन
सिंहस्थ कार्यों को समर्पित भाव से पूर्ण करने में जुटा है शासन-प्रशासन
सिंहस्थ में शासन-प्रशासन ने बहुत अच्छा कार्य किया है। निर्माण कार्यों को समर्पित भाव से पूरा करने में जुटा हुआ है शासन-प्रशासन। कार्य जितने अधिक हों, उतना उन्हें पूरा होने में समय तो लगता ही है।
-श्रीमहन्त महेश्वरदासजी
प्रबंधक, श्रीपंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, उज्जैन
सिंहस्थ के तहत अखाड़ों में प्रशासन ने काफी अच्छे निर्माण कार्य करवाए। अखाड़ों में हुए स्थायी निर्माण कार्यों से साधु-सन्तों को काफी सुविधाएं होगी और इन निर्माण कार्यों का सिंहस्थ के बाद भी लाभ मिलेगा।
– अमनदीपसिंह
मुकामी महन्त, श्रीपंचायती निर्मल अखाड़ा, उज्जैन
सरकार ने साधुओं के लिए अपना खजाना खोल दिया
सरकार ने साधुओं के लिए खजाना खोल दिया है। कोई भी कमी नहीं रखी है। साधु-सन्तों को हर प्रकार की सुविधाएं प्रदान की हैं। अखाड़ों में सन्त निवास, सीमेन्ट-कांक्रीट, सड़क निर्माण, भण्डार गृह निर्माण, सुविधाघर निर्माण एवं स्नानागार निर्माण के कार्य करवाए हैं।
-श्रीमहन्त धनराजगिरिजी
मेला प्रबंधक, तपोनिधि श्रीआनंद अखाड़ा पंचायती, उज्जैन
शिवराज सिंह की सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने सिंहस्थ के लिए बहुत ही अच्छे कार्य करवाए हैं। धार्मिक नगरी उज्जैन में अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। उज्जैन शहर का सौंदर्यीकरण हो गया है। सरकार के कार्यों से सभी साधु-सन्त काफी खुश हैं। इतने ज्यादा काम पिछले किसी भी सिंहस्थ में नहीं हुए हैं।
-श्रीमहन्त प्रेमगिरिजी महाराज
श्री शंभु पंच अटल अखाड़ा, उज्जैन
सिंहस्थ में स्वच्छता का सन्देश जन-जन तक पहुंचे
प्रदेश सरकार ने सिंहस्थ के मद्देनजर उज्जैन शहर और मेला क्षेत्र, अखाड़ों में काफी अच्छे विकास एवं निर्माण कार्य करवाये हैं। सिंहस्थ में स्वच्छता का सन्देश जन-जन तक पहुंचे। लोग स्वच्छता बरतेंगे तो स्वस्थ रहेंगे, मन प्रसन्न रहेगा और सभी सुखी और खुशहाल रहेंगे।
-श्रीमहन्त दिग्विजयदासजी
मेला प्रभारी, श्री पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा, उज्जैन
अखाड़ों को शासन-प्रशासन ने पूरी तरह से सही कर दिया है
शासन-प्रशासन ने अखाड़ों की जर्जरता को पूरी तरह से सही कर दिया है। सभी अखाड़ों में 50-50 लाख रूपए के निर्माण कार्य करवाए हैं। इस बार का महाकुंभ अद्वितीय होने जा रहा है। सरकार की व्यवस्थाएं भी बहुत ही सुन्दर हैं।
-श्रीमहन्त परमानंददासजी
श्रीपंच रामानंदीय निर्मोही अखाड़ा, उज्जैन
सिंहस्थ में उज्जैन नगरी का कायाकल्प हो गया
सिंहस्थ में उज्जैन नगरी का कायाकल्प हो गया है। सिंहस्थ के अन्तर्गत उज्जैन शहर में शासन ने अनेकों निर्माण कार्य करवाए हैं। इससे सम्पूर्ण शहर का कायाकल्प हो गया है। अखाड़ों में भी विकास एवं निर्माण कार्य करवाए गए हैं।
-श्रीमहन्त गौरवपुरीजी
कोठारी, रमता पंच, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, उज्जैन