मुंबई। सदियों से भारत के हाथ से बुने कपड़ों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़ी मांग रही है। इतिहास के कई किस्से, किंवदंतियां भारत के बुनकरों की कारीगरी की तारीफ करने वाली हैं और अब भारतीय डिजायनरों ने एक ऐसा अभियान शुरू किया है जिससे इन बुनकरों को उनके काम के लिए सम्मान और उसकी माकूल कीमत हासिल हो सकेगी।
एक समय में अपना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम बनाने के लिए भले ही इन डिजायनरों ने भारत की इस विरासत को अनदेखा कर दिया हो लेकिन अब फैशन जगत की कुछ हस्तियों ने बुनकरों के लिए एक अनोखा बीड़ा उठाया है।
दिल्ली के डिजायनर राजेश प्रताप सिंह, जयपुर की अनुपमा बोस के अलावा अनीथ अरोरा, हेमांग अग्रवाल और आसिफ शेख ने लैक्मे फैशन वीक के मंच का प्रयोग इन बुनकरों को उचित समान दिलाने के लिए किया और इसके लिए ‘वाकिंग हैंड इन हैंड’ शीर्षक से कार्यक्रम पेश किया।
इस कार्यक्रम का आयोजन क्राफ्ट डिजाइन सोसायटी ने किया जिसका नेतृत्व अहमदबाद के शेख करते हैं।
तकरीबन 22 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे 47 वर्षीय शेख ने बताया कि डिजायनर आम तौर पर बुनकरों के कपड़ों का प्रयोग करते हैं लेकिन कभी भी बुनकरों को इसकी प्रशंसा नहीं मिलती।
उन्होंने कहा कि इस पूरे अभियान का मकसद उन बुनकरों की मेहनत, रचनात्मकता और श्रम को उचित मंच दिलाना था जिसकी बदौलत अंतिम परिधान तैयार होता है। इसका मकसद उनकी इस अमूल्य धरोहर को बचाना और प्रोत्साहन देना है साथ ही उन्हें वैश्विक मंच प्रदान
करके नई पीढ़ी को इस विरासत का महत्व समझाना भी है।
फैशन वीक में इस कार्यक्रम के दौरान अनीथ ने जाकिर हुसैन मंडल, अनुपमा ने जिसलुमदुब्बीन नीलगर, हेमांग ने शारफुद्दीन अंसारी, राजेश प्रताप ने हसीम मुहमद और शेख ने पुरस्कृत बुनकर अब्दुल जब्बार खत्री का हाथ थामा।