सूरत। पांडेसरा क्षेत्र के एक बिल्डर से दो करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने के मामले में बिहार से पकड़े गए माफिया प्रवीण राउत को क्राइम ब्रांच शुक्रवार को सूरत ले आई। उसे शनिवार को कोर्ट में पेश कर रिमांड की मांग की जाएगी।
इस संबंध में जानकारी देते हुए शहर पुलिस आयुक्त आशीष भाटिया ने बताया कि शातिर प्रवीण राउत बिल्डर युवराज पाटिल को जानता था। दोनों एक दूसरे से परिचित थे। सूरत से बिहार भाग जाने के बाद उसने ओडिसा के अपने गुर्गो को फोन किया तथा उनके जरिए पाटिल से फिर रंगदारी की मांग की थी।
उसके ओडिसा में मौजूद साथियों ने ही अंबादास शिंदे, सूरज परमार, विशाल सिंह, राजेन्द्र उर्फ राजु गौड़ा व किरण स्वाईं को रुपए लेने के लिए पाटिल के कार्यालय पर भेजा था। उसी दौरान क्राइम ब्रांच ने जाल बिछाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
वहीं प्रवीण के बिहार के नालंदा जिले के गोरमा गांव में होने की सूचना मिलने पर एक टीम वहां भेजी गई और स्थानीय पुलिस की मदद से नाकेबंदी कर उसे गिरतार कर लिया गया। उसे नालंदा कोर्ट में पेश कर तीन दिन के ट्रांजिट रिमांड पर लिया गया और सूरत लाया गया।
भाटिया ने बताया कि अभी उससे प्राथमिक पूछताछ की गई लेकिन रिमांड के दौरान विस्तृत पूछताछ में और भी कई वारदातों के राज खुलने की उमीद है। भाटिया ने बताया कि प्रवीण राउत अपने गिरोह के नाम पर ही धमकी देकर रंगदारी की मांग कर रहा था।
उसका दाउद इब्राहिम गिरोह या छोटा राजन समेत मुंबई के किसी माफिया गिरोह से कोई संपर्क सामने नहीं आया है।
चौदह साल की उम्र में शुरू की थी शराब तस्करी
पुलिस ने बताया कि शातिर प्रवीण उर्फ दीपक राउत के पिता उमरा क्षेत्र में पानी पुरी बेचते थे। 2002 में प्राथमिक शिक्षा के बाद उसने स्कूल छोड़ दी और दमण से शराब की तस्करी शुरू कर दी।
2004 में उसे रेलवे पुलिस ने शराब तस्करी के मामलों में पकड़ा। उसके बाद वह कई बार पकड़ा गया और जेल में ही वह अन्य शातिरों के संपर्क में आया। जिनमें बहुचर्चित नीता सातभाया हत्याकांड का आरोपी दुर्गासिंह भी शामिल था। दुर्गासिंह के संपर्क में आने के बाद उसने 19 जनों को अपने साथ मिला कर अपना गिरोह बनाया।