पाली। आर्य वीर दल के पाली द्वारा स्वर्ण जयन्ती महोत्सव के उपलक्ष्य में शनिवार को लाखोटिया रंगमंच पर विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इस कवि सम्मेलन में देश के जाने माने कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। दिल्ली से पधारी कवियत्री अना देहलवी ने मां शारदे की वंदना कैसे करूं तेरी वंदना हे मां शारदे अक्षर है बेजान ओ मां शारदे मां से कवि सम्मेलन की शुरुआत की।
दिल्ली विश्वविद्यालय पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर सारस्वत मोहन मनीषी ने कविता के माध्यम से कहा की सारी दुनिया घूम ली पाया नहीं उदास मन में सौ सूरज उगे पढ़ सत्यार्थ प्रकाश। पाव दबा या मत दबा पर कानून न छाट सारी चीजें बाहरी मां को तो मत बात।
ऋषियो मुनियों गुरुओं का संदेश ठीक हो जाएगा हम जागेंगे तो ब्रम्हा विष्णु महेश ठीक हो जाएगा द्रोपदीयों के खुले केश का क्लेश ठीक हो जाएगा जिस दिन दिल्ली ठीक हो गई देश ठीक हो जाएगा।
वीर रस के ओजस्वी युवा कवि राहुल शर्मा ने बिना दण्ड उद्दंड की दानवता वंद नहीं होगी केवल भाषणबाजी से गौ हत्या बंद नहीं होगी कविता सुनाकर खूब दाद पाई।
प्रतापगढ़ से पधारे शैलेंद्र सिंह शैलू ने पैरोडी के माध्यम से शहीद हनुमंत थप्पा को श्रद्धांजलि दी। सुख दुख भुला घर भी भुला छोड़ के मोहमाया हनुमंतथप्पा मर मिटने को सरहद पर आया। फौजी था कमाल का हौसला कमाल सियाचिन की बर्फ में जिंदा अपना लाल था पायो रे पायो हनुमन रतन धन पायो योग परछाइयों हनु रतन धन पायो हमने हनु रतन धन पायो।
दिल्ली के ही कवि श्याम अंगारा ने मत पूछो मेरी मांग का चमचम यह सिंदूरी मोती मैं उस शहीद की दुल्हन हूं जो कभी विधवा नहीं होती। यह वह धरती है जिसको अग्नि गंधा माटी है हम उस देश के वासी है जिस देश में हल्दीघाटी है। कार्यक्रम का संचालन हल्दीघाटी है।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे बलवंत बल्लू ने कहा जिस दिन देश के युवाओं का संयम डोलेगा ओवेसी तू तो क्या तेरा पूरा खानदान भारत मां की जय बोलेगा।
मध्यप्रदेश के कवि पंकज फनकार ने अपनी कविता के माध्यम से कहा चौखट पर उसकी सर को झुकाया कभी नहीं पर दिल किसी गरीब का दुखाया कभी नहीं, दीप मंदिरों के जलाए नहीं तो क्या हुआ चिराग किसी के आंगन का बुझाया कभी नहीं।
इसी क्रम में बदनावर मध्य प्रदेश से पधारे हुए सभी राकेश शर्मा ने कहा भारत माता सदा सुहाता तेरा यह घर बार तेरी गोद छूटने पाए छूट है संसार।
भरतपुर से पधारे हुए सत्यवीर आर्यन ने कविता पढ़ते हुए देश की आतंकवाद की समस्याओं को उजागर किया। उन्होंने कहा गांड़ीव उठाओ धूल झाड़ दो जमी हुई म्यान पर, फिर से तांडव नृत्य करो तुम तलवारों की तान पर, गद्दारों को पहुंचा दो जल्दी अब कब्रिस्तान पर फिर देखे क्या शेष बचा है वह के पाकिस्तान पर। जान भी देकर मान रखेंगे अपने देश महान का, कभी न टुकड़ा कटने देंगे अब हम हिंदुस्तान का।
मथुरा से पधारे हुए श्याम सुंदर अकिंचन ने कहा वतन के वास्ते जो ख़र्च मिट्टी का चुकाते हैं उन्हीं के वल से केवल आज हिंदुस्तान जिंदा है।
जयपुर से आए हुए अब्दुल गफ्फार ने कहा विरासत हम बुजुर्गों की कभी खोने नहीं देंगे किसी गद्दार को विश बीज होने नहीं बोने देंगे, जो भारत मां की जय कहने में झिझके और कतराते उसे इस मुल्क में हरगिज दफन होने नहीं देंगे। उनकी देशभक्ति से ओतप्रोत एवं गौ रक्षा को लेकर प्रस्तुत कविता को खूब सराहा गया।
दिल्ली से पधारी कवित्री गजलकार अना देहलवी ने कहा किरण देना चमन देना वतन वालो मुझे तो सिर्फ इतना सा वचन देना आना दिल में मेरे कोई तमन्ना है तो नहीं है अगर मर जाऊं तो मुझको तिरंगे का कफन देना।
कार्यक्रम के दौरान भामाशाहों का माला साफा एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत ओम आचार्य फालना में किया।
इस अवसर पर उप मुख्य सचेतक मदन राठौड़, पाली विधायक ज्ञानचंद पारख, सभापति महेंद्र बोहरा, भाजपा शहर अध्यक्ष रामकिशोर साबू, शिव प्रकाश प्रजापत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक कमल गोयल, विश्व हिंदू परिषद के विभाग मंत्री परमेश्वर जोशी, अशोक जोशी, दिनेश जोशी, समाजसेवी उमरा सांड, सुनील भंडारी, अनिल भंडारी, प्रमोद लसोड़, पूर्व विधायक भीमराज भाटी, पुखराज शर्मा, प्रकाश जांगिड़, महावीर सुनते वाली, रतनसिंह, राजेंद्र सिंह राजपुरोहित सहित अधिक संख्या में आर्यवीर उपस्थित थे।