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परिवार नियोजन कार्यक्रम को इस्लाम ने ध्वस्त किया : सिन्हा - Sabguru News
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परिवार नियोजन कार्यक्रम को इस्लाम ने ध्वस्त किया : सिन्हा

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परिवार नियोजन कार्यक्रम को इस्लाम ने ध्वस्त किया : सिन्हा

Islam destroyed family planning program : rss pracharak rakesh Sinha

जयपुर। संघ विचारक राकेश सिन्हा ने कहा कि इस्लाम के रोक लगाने से देश में परिवार नियोजन कार्यक्रम बुरी तरह ध्वस्त हुआ है।

इस्लाम में व्यक्तिगत जीवन पक्ष को धर्म नियंत्रित करता है, इसलिए वे जनसंख्या वृद्धि को उपक्रम के रूप में चला रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि गरीबी से जुड़ा प्रश्न नहीं है।

सिन्हा रविवार को अखिल भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान की ओर से जनांकिक राष्ट्र का भाग्य विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि जनगणना राष्ट्र का भाग्य है। यह विमर्श जारी रहेंगा। हमारी जो धारा निधि निकली थी वह राजनीति परिवर्तन की धारा नहीं है।

वह भारतीय राष्ट्र के मूल तत्व, मूल विचार को पुनस्र्थापित करने की धारा है। जिस धारा को छुड़ाया नहीं गया, भूलाया नहीं गया बल्कि नष्ट करने की कोशिश की गई है। यह दो विचार धाराओं की लड़ाई है, जिसमें जगणना एक महत्वपूर्ण आयाम है।

उन्होंने कहा कि जनसंख्या बढ़ती है और भारत इंडोनिया के रूप में बढ़ती है, जहां जनसंख्या तो मुस्लिमों की अधिक है लेकिन अमरीका में इं​डोनेशियाई दूतावास के बाहर गणेश प्रतिमा, वायुसेवा का निशान गरूड़, सड़कों पर चलते हुए महाभारत की कहानी दिखाई देती है।

भारत की संस्कृति भी इंडोनेशिया की तरह होती तो 2011 की जनगणना पर विमर्श करने की आवश्यकता नहीं होती।

उन्होंने कहा कि हिन्दू बहुमत में रहेगा तो किसी भी धर्म की अस्मिता को खतरा नहीं होगा।  केरल में मुस्लिामों के लिए इबादतगाह बनाने के लिए हिन्दू राजा सबसे पहले मंदिर को मस्जिद बनाया।

मक्का के बाद चेरामन मस्जिद सबसे पूरानी मस्जिद है, इसका दरवाजा पूर्व की ओर खुलता है। वहां आज भी पीतल की घंटी लगी है, दीया जलता है। लेकिन सेकुलरों को यह दिखाई नहीं देता है। हम ऐसी ही मस्जिद और गिराजघर चाहते है। भारत संभावानाओं का देश है। हम प्रयोगधर्म है।

उन्होंने कहा कि बहस का विषय इस्लाम, क्रिश्चयनिटी और हिन्दू महिलाओं के विषय में क्या सोचते है यह होना चाहिए। लेकिन ब्रिटीश साम्राज्य ने गुणात्मकता की जगह मात्रात्मकता बहस चला दी।

हिन्दू समाज को 107 साल पहले स्वामी श्रद्धानंद और यून एन मुखर्जी ने जगाने का प्रयास किया था। इसके बाद किसी ने प्रयास नहीं हुए। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डा. मोहनराव भागवत ने एक श्मशान, एक कुआ, एक पूजा स्थल एक करने बीड़ा उठाया है।

उन्होंने कहा कि हमें किसी धर्मवालंबियों से खतरा नहीं है, उस दर्शन से खतरा है जो भारत की प्रयोग धर्मिता को समाप्त करना चाहता है।

जनसंख्या असंतुलन कैसे रूके इसका समाधान संघ ने अपने प्रस्ताव में दिया है। इसमें कहा गया है कि देश में एक जनसंख्या नीति लागू होनी चाहिए। सभी धर्म,जाति, भाषा, बोली के लोगों पर यह नीति समान रूप से लागू होनी चाहिए।

भारत में हिन्दू मनोवैज्ञानिक स्तर पर भले ही 80 प्रतिशत हो लेकिन वास्तव में 80 अस्सी प्रतिशत है ही नहीं। यह गलतफहमी है। इस भूभाग पर हिन्दू 69 से घटकर 62 प्रतिशत रह गए हैं।

अखिल भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान के सरंक्षक रामप्रसाद ने कहा कि आंकड़े बहुत कुछ बोलते है। देश के सामने भविष्य में पैदा होने वाली भयावहता और चुनौतियों को समझकर निदान करने के लिए जनांकिक आंकड़ो का गहराई से अध्ययन करना होगा।

उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन राजनीतिक और सामजिक परिस्थितियां पैदा करने वाला कारक है। देश में बाहरी मजहबों के मानने वालों की संख्या का बढ़ना और मूल संस्कृति के मानने वालों का प्रतिशत कम होना प्रश्नवाचक चिन्ह लगाता है।

देश विभाजन का मूलकारण जनंसख्या असंतुलन ही है। आजादी से पहले पाकिस्तान में 18 प्रतिशत हिन्दू थे जो घटकर एक प्रतिशत रह गए है। इसी प्रकार बांग्लादेश में हिन्दुओं की संख्या 27 से घटकर 6 प्रतिशत रह गई।

उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि देश में 1947 के पहले जैसे हालात बन रहे है। मजहबी आबादी तेजी से बढ़ रही है। इस जननांकिक परिवर्तन के बारे में जागरूकता लाने की आवश्यकता हैै।

उन्होंने कहा आज भारत माता की जय नहीं बोलने वालों के हौसलें बुलंद हो रहे है। भारत में रहने वाले शतप्रतिशत मुसलमान यहीं के हैं। वे भी जानते है लेकिन परिस्थितियों के चलते बोलने में संकोच करते है।

कार्यक्रम में केन्द्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, ​उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ, अखिल भारतीय समन्वय संस्थान के अध्यक्ष प्रो.जेपी शर्मा,महामंत्री आशुतोष पंत समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्वजन मौजूद थे।