नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 2015-20 में वित्तीय घाटा लक्ष्य तथा राज्यों के अतिरिक्त वित्तीय घाटे पर 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दे दी गई।
बताया गया है कि 14वें वित्त आयोग ने राज्यों के लिए वित्तीय घाटे की सीमा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का तीन प्रतिशत रखी है। वित्त आयोग ने राज्यों को अतिरिक्त वित्तीय घाटे के लिए वार्षिक आधार पर लचीलापन दिया है।
14वें वित्त आयोग ने विकास आवश्यकताओं और वर्तमान दीर्घ आर्थिक आवश्यकता को देखते हुए वैसे राज्यों को एक वर्ष में तीन प्रतिशत की सामान्य सीमा से ऊपर अधिकतम 0.5 का लचीलापन उपलब्ध कराया है जिनका ऋण-जीएसडीपी अनुपात अनुकूल हैं और जिनका पिछले दो वर्षों का ब्याज भुगतान-राजस्व प्राप्ति अनुपात अनुकूल है। लेकिन राज्य को अतिरिक्त वित्तीय घाटे में लचीलेपन की सुविधा तभी उपलब्ध होगी जब राज्य का वर्ष में कोई राजस्व घाटा नहीं है।
चूंकि वित्त वर्ष 2015-16 समाप्त हो गया है इसलिए राज्यों को 2015-16 के लिए अतिरिक्त उधारी का कोई लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन 14वें वित्त आयोग की शेष अवधि यानी 2016-17 से 2019-20 के लिए 14वें वित्त आयोग द्वारा तय किए मानकों के आधार पर राज्यों की पात्रता निर्भर करेंगी।
वर्ष 2016-17 के लिए 14वें वित्त आयोग की जीएसडीपी के 0.5 प्रतिशत की अतिरिक्त उधारी के लिए राज्यों की प्राप्ति का निर्धारण निम्नलिखित वित्तीय मानकों के आधार पर किया जाएगा।
ए.) वर्ष 2016-17 के लिए राज्य की 2014-15 की राजस्व स्थिति (वित्त लेखा के अनुसार वास्तविक) तथा 2015-16 (संशोधित अनुमान) प्रासंगिक होगा।
बी.) 2016-17 के लिए राज्य की पात्रता निर्धारित करने के वास्ते 2014-15 का राज्य का वित्त लेखा में घोषित आईपी/टीआरआर अनुपात तथा ऋण/जीएसडीपी अनुपात प्रासंगिक होगा।
यदि राज्य 2016-17 से 2018-19 की 14वें वित्त आयोग की अवधि में किसी विशेष वर्ष में जीएसडीपी की तीन प्रतिशत का स्वीकृत वित्तीय घाटा का पूरी उपयोग नहीं करते है तो राज्य इस रकम का इस्तेमाल आगे के वर्ष में कर सकते हैं लेकिन यह 14वें वित्त आयोग की अवधि में ही इस्तेमाल किया जा सकता है।