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जवानों ने किया श्रमदान तो बच गया सम्मान - Sabguru News
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जवानों ने किया श्रमदान तो बच गया सम्मान

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जवानों ने किया श्रमदान तो बच गया सम्मान
minnister incharge doing shramdan at lakherao talab sirohi
minnister incharge doing shramdan at lakherao talab sirohi

सबगुरु न्यूज- सिरोही। व्हाट्स एप में ही श्रमदान की योजना और वहीं पर मीटिंगे करके प्रोत्साहित करने का अंजाम क्या होता है यह गुरुवार को लाखेराव तालाब में आयोजित श्रमदान में नजर आ गया। सीआरपीएफ माउण्ट आबू की तीन बटालियन, सिरोही पुलिस लाइन के डेढ सौ के आसपास जवान और सिरोही नगर परिषद के सफाई कर्मी नहीं होते तो मुख्यमंत्री जल संरक्षण अभियान के तहत भामाशाहों से विवाद करके सामुहिक श्रमदान की जिद करने वालों की भद पिट गई होती। भला हो कुम्हारवाडा क्षेत्र के लोगों का जिन्होंने काफी संख्या में पहुंचकर लाखेराव तालाब में श्रमदान कर दिया।

वैसे श्रमदान जैसा कार्य स्वेच्छा से किया हुआ माना जाता है, लेकिन जिन पार्षदों को इसकी रीढ माना जा रहा था उनका कहना है कि व्हाट्स एप के अलावा कभी भी गंभीरता से एक बैठक बुलाकर इस श्रमदान में लोगों को लाने का आह्वान नहीं किया गया। श्रमदान की पूरी सफलता इन पर ही निर्भर थी। वैसे यहां यह बताना जरूरी है कि तीन दिन पहले नगर परिषद में आयोजित सामुहिक बैठक में इस बात का जब आह्वान किया गया था तब भी यह कहा गया था कि सभी पार्षदों को अपने-अपने वार्डों में काॅर्नर मीटिंग करके इस कार्य के लिए लोगों को प्रेरित करना है। श्रमदान कार्यक्रम के फीके रहने की प्रतिक्रिया व्हाट्स एप समुह और तालाब की पाल पर पढने और सुनने को मिली।

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-भाजपा और आरएसएस मयी कार्यक्रम बनाने की चर्चा सोशल मीडिया पर
श्रमदान की मुख्य नीयत शहरवासियों को जल संरक्षण के लिए भागीदार बनाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। यहां सबसे बडी कमी सिरोहीवासियों की है, शायद यही नीरसता इस शहर के पिछडे होने की प्रमुख वजह भी है। व्हाट्स एप पर बने समूहों में आयोजकों की ओर से ढाई से तीन हजार लोगों के आने का दावा किया जाता रहा, लेकिन यहां पर बामुश्किल शहर के हजार लोग भी नहीं जुट पाए, इनमें सीआरपीएफ, पुलिस लाइन और सिरोही नगर परिषद के सफाई कर्मियों की टीम शामिल थी। दरअसल, इस कार्यक्रम को पूरी तरह से भाजपामयी और आरएसएस मयी बनाने का अरोप लगता रहा।

इसे लेकर बुधवार रात को व्हाट्स एप समुह में लोगों ने ताकीद भी किया, लेकिन इस कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाने वाले आरएसएस के प्रतिनिधि और भाजपा के प्रतिनिधि यह दावा करते रहे कि इस कार्यक्रम में ढाई से तीन हजार लोग आ जाएंगे। वैसे इन्ही व्हाट्स एप समुहों में चर्चा के दौरान कई लोगों ने इसके लिए जमीन पर कार्य करके प्रोत्साहित करने की भी बात कही। संभवतः ऐसा नहीं होने का परिणाम यहां पर श्रमदान के लिए कम लोग उमडे। वैसे सत्ताधारी पार्टी से ज्यादा बेहतर परिणाम प्रशासन और कांग्रेस का दिखा। कांग्रेस का इसलिए कि भले ही उनके पार्षद अपने वार्ड के लोगों को नहीं बटोरकर ला पाए हों, लेकिन जिस तरह से इस श्रमदान को भाजपामयी बनाने का आरोप लगा था उसके बावजूद कांग्रेस के पार्षदों का इसमें हिस्सा लेना ही एक सकारात्मकता थी।
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-विवाद के बाद बना था श्रमदान का प्रोग्रम
लाखेराव तालाब में पिछले सोमवार को भामाशाहों ने मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन कार्यक्रम के तहत मशीनों से कार्य शुरू करवा दिया था। इसकी समिति में नगर परिषद के सभापति को शामिल नहीं करना भाजपा सिरोही ब्लाॅक अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी और भाजयुमो जिलाध्यक्ष हेमंत पुरोहित को नागवार गुजरी और उन्होंने इसे लेकर पहली सार्वजनिक आपत्ति जाहिर की। इसके बाद सभापति ने इस कार्य के लिए की जिम्मेदारी डालने का पत्र जिला कलक्टर को कार्य रुकवाने का कारण बना। बाद में डाक बंगले में बैठक में एक फोन आने के बाद उन्होंने झल्लाते हुए यह तक कह दिया कि इसकी डीसिल्टिंग नगर परिषद ही करवा देगी।

इसी दौरान यह बात आई कि इसका विधिवत श्रमदान के माध्यम से राजनीतिक भागीदारी करवानी चाहिए। न जाने कौनसा दैवीय दबाव आया कि इन लोगों ने विवाद को दरकिनार करके सर्किट हाउस में बैठक की। इसमें प्रभारी मंत्री, जिला कलक्टर, सभापति, भाजपा सिरोही ब्लाॅक अध्यक्ष, और आरएसएस के कैलाश जोशी की मौजूदगी में इसकी तिथि तय हुई, लेकिन इनमें से जिला प्रशासन के प्रतिनिधि के अलावा इस कार्य में जुडे बाकी लोग श्रमदान के लिए सम्माजनक संख्या में लोगों को एकत्रित नहीं कर पाए।

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-अमावस्या थी अवकाश भी नहीं
इस विफलता का पहला ठीकरा उस व्यक्ति के सिर फोडना मुनासिब होगा जिसने आनन फानन में श्रमदान की तिथि 7 अप्रेल तय की। इस दिन अमावस्या थी। देवनगरी में इस दिन को काफी मानते है और मान्यता के अनुसार औजार और उपकरणों को इस्तेमाल नहीं किया जाता। दूसरा इस दिन अवकाश भी नहीं था कि कोई कार्मिक अपनी ड्यूटी से छुट्टी होने के कारण यहां पर आकर श्रमदान कर देता। दिनभर नौकरी बजाने के बाद किसी भी व्यक्ति के पास इतनी क्षमता शायद ही बचती हो कि वह चिलचिलाती धूप में श्रमदान के लिए पहुंच जाए। श्रमदान के दौरान कम लोगों को देख यह बात भी सामने आई कि संभवतः नवरात्रि के कारण प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी के माताजी की भक्ति में व्यस्त हो जाने के कारण आनन फानन में यह तिथि निर्धारित की गई।
-जल मंदिर में पूजा कर किया श्रमदान
तमाम हंगामे और बैनर, पेम्फलेटों के प्रकाशन के बाद गुरुवार को लाखेराव तालाब में भाजपामयी वातावरण में श्रमदान किया गया। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन कार्यक्रम के तहत लाखेराव तालाब में दानदाताओ के सहयोग से शुरू हुआ डी-सिल्टिंग के कार्य के बीच सोमवार को प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी तथा सभापति ताराराम माली ने लाखेराव तालाब में स्थित जल मंदिर में पूजा के बाद श्रमदान किया।

आदर्श चेरिटेबल फाउंडेशन के मुकेश जी मोदी,प्रभारी सचिव, जिला कलेक्टर वी सरवन कुमार, सिरोही के पूर्व राजपरिवार के प्रमुख रघुवीरसिंह देवडा, उपसभापति धनपतसिंह, पुलिस अधीक्षक संदीपसिंह चैहान, जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया, अतिरिक्त कलेक्टर प्रहलादसहाय नागा, एसडीएम ओम प्रकाश विश्नोई, तहसीलदार वीरेंद्रसिंह भाटी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेरण शेखावत,  डीएसपी तेजसिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी, भामाशाह पंकज गांधी, जल बिरादरी के सुरेश सुराणा, महावीर जैन, विक्रमपाल सिंह, नारायण देवासी,नगरपरिषद पार्षद विरेन्द्र एम चैहान, पुष्पा कंवर, ईश्वरसिंह डाबी, प्रवीण राठौड, मीनाक्षी प्रजापत, जितेन्द्र सिंघी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कैलाश जोशी, अधिवक्ता अशोक पुरोहित,  अधिवक्ता भंवरसिंह, डिस्काॅम एईएन आई डी चारण, महिला थाने की एएसआई सरोज बैरवा समेत नगर परिषद, सीआरपीएफ, पुलिस लाइन के कार्मिकों के साथ शहर के कई लोगों ने यहां पर श्रमदान किया। इस दौरान ओटराम देवासी ने तालाबों के संरक्षण की बात कही तो सिरोही के पूर्व राज घराने के रघुवीरसिंह देवडा ने पिछले 52 सालों इन तालाबों की हुई दुर्दशा पर क्षोभ भी जताया।