लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मो आजम खान को बर्खास्त करने के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस मामले को देखने का अधिकार सिर्फ विधानसभा अध्यक्ष, राज्यपाल व मुख्यमंत्री को है।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अशोक पांडेय की ओर से दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एपी शाही की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने शुक्रवार को कहा कि राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और सम्बंधित मंत्री आजम खान इस मामले को जल्द सुलझाएं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2015 को लेकर कैबिनेट मंत्री आजम खान ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान राज्यपाल राम नाईक पर टिप्पणी की थी। इसी को लेकर अशोक पांडेय ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका की थी कि आजम ने राज्यपाल के लिए असंसदीय भाषा का प्रयोग किया है अतः उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए।
कोर्ट ने संसदीय शब्द के बारे में कहा कि इसका आशय है कि जिन शब्दों के इस्तेमाल को बोल चाल में शिष्ट और सभ्य कहा जाए वह संसदीय है जबकि इसके विपरीत अशिष्ट भाषा असंसदीय कहलाती है।
अदालत ने अपेक्षा की है कि राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और आजम खान इस मामले को जल्द सुलझा लेंगे।