वाराणसी। साल भर में सिर्फ एक बार खुलने वाले ज्ञानवापी परिसर स्थित सुख-समृद्धि व सौभाग्य की प्रदात्री श्रृंगार गौरी के दर्शन के लिए सोमवार को श्रद्धालु उमड़ पड़े।
बांसतिक चैत्र नवरात्र के चौथे दिन सुरक्षा के तमाम बंदिशो को झेल विवादास्पद अति संवेदशनील धार्मिंक स्थल ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी का दर्शन पूजन कर श्रद्धालु निहाल हो गए। श्रद्धालुओं ने माता के दिव्य और अलौकिक रूप की विधिवत पूजा-अर्चना की। इसी क्रम में माता के चरणों में विविध पुष्प, धूप, दीप, नैवद्य, नारियल और लाल चुनरी अर्पित करने के साथ ही मंगल कामना की।
गौरतलब हो कि श्रृंगार गौरी का मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे ईशान कोण में स्थित है। श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन से अलौकिक शांति की प्राप्ति के साथ ही मनोवांछित फल मिलता है।
आम तौर पर सामान्य दिनों में श्रृंगार गौरी को लाल वस्त्र से ढककर रखा जाता है, लेकिन वासंतिक नवरात्र में चौथे दिन एक दिन के लिए उन्हें मुखौटा व लाल चुनरी से सुशोभित किया जाता है। मां का यह विग्रह स्वयंभू है।
आस्थावानों को माता रानी के दर्शन-पूजन का वर्ष में यही एक बार अवसर मिलता है। श्रृंगार गौरी के दर्शन से सुहागिन महिलाओं को सौभाग्य में श्रीवृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। उधर आदि शक्ति के चौथे स्वरूप दुर्गाकुण्ड स्थित कूष्मांडा दरबार में आस्था का जन सैलाब उमड़ता रहा।
आधी रात के बाद से देर शाम तक मंदिर के मुख्य द्वार से एक कतार धर्मसंघ परिसर तो दूसरी कतार त्रिदेव मंदिर साकेत मण्डप तक लगी रही।
सौभाग्यवति महिलाओं के साथ युवतियां हाथों में पूजन सामग्री की सजी टोकरी या थाली और लाल चुनरी नारियल अढ़उल की माला के साथ मंगलमय जीवन की कामना लिए दरबार में जाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कड़ाके की चिलचिलाती धूप में कतारबद्ध रहे।
मां के इस स्वरूप के बादे में जनश्रृति है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और चहुंओर अंधकार व्याप्त था उसी समय माता ने अपने ‘ईषत’ हस्त से सृष्टि की रचना की।
विशालाक्षी और स्कन्द माता के दरबार में भी उमड़ी भीड़
आठ दिनी बासंतिक नवरात्र में पंचमी तिथि के हानि के कारण चौथे दिन ही पंचमी तिथि का मान होने के कारण सोमवार को ही मीरघाट स्थित विशालाक्षी गौरी तथा जैतपुरा स्थित स्कन्द माता के दरबार में श्रद्धालुओ ने हाजिरी लगाई। ज्यादातर श्रद्धालुओं का दिन दर्शन पूजन में ही बीता। माता के दोनों स्वरूपो के दर्शन-पूजन से अलौकिक शांति श्रद्धालुओं को मिली। मां चरणों में अड़हुल के फूल की माला, नारियल, विभिन्न फल व मिष्ठान सहित कमल का फूल, दूध व मेवा आदि भी श्रद्धालुओं ने चढ़ाया।