उज्जैन। सिंहस्थ 2016 की तीसरी पेशवाई सोमवार को निकली। लगभग दो किलोमीटर लम्बी इस पेशवाई के दौरान नर-नारी आलौकिक आनंद में सराबोर थे। पेशवाई मे शामिल स्त्री पुरूष बेन्ड़ की धुनो पर मस्ती में झुम रहे थे। भजनों पर नृत्य कर रहे थे। पेशवाई में चलते हाथी, घोडों तथा ऊटों पर सवार नागा सन्यासी एक अलग ही दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। ऐसा दृश्य जो सबके आकर्षण का केन्द्र था।
इन नागाओं ने जो समा बांधा वह दृश्य अद्वितीय था। जब तक ये सामने से गुजर रहे थे तब तक दर्शक टकटकी बान्धे उन्हें ही देखते रहे। श्री निरंजनी अखाड़े की पेशवाई में नागाओं के अलावा अन्य सन्या सियों महामण्डलेशवर व मण्डलेश्वरों के वाहनों की कतारे दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रही थीं। रास्ते भर फल व अन्य सामग्री प्रसाद स्वरूप में ये सन्या सी लुटा रहे थे।
सिंहस्थ का मर्म तो ये अखाड़े ही होते है और इन की पेशवाई सिंहस्थ के प्रारम्भ का घोतक होती है। हालांकि श्री निरंजनी अखाड़े की यह पेशवाई अब तक की तीसरी पेशवाई थी, परन्तु इसने उज्जैन के श्रद्धालु नागरिकों को सिंहस्थ की आध्यात्मिकता के और समीप कर दिया है।
सड़कों के दोनों किनारों पर खड़े नर-नारी हाथी, घोडों, ऊंटों व रथों पर सवार सन्यासियों का हाथ हिलाकर अभिवादन कर रहे थे। साथ में हर-हर महादेव के जय कारे लगा रहे थे।
पुलिस व प्रशासन ने भी पेशवाई के सुव्यवस्थित आयोजन के लिए माकूल व्यवस्थाएं की थीं। चारधाम से आरम्भ हुई इस पेशवाई के अंतिम स्थल तक पुलिस व नगर सेना के जवान मुस्तैदी से भरी गर्मी में अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे थे।
सड़कों पर तपिश को मिटाने के लिए नगर-पालिका निगम का पानी से भरा एक वाहन पेशवाई के आगे-आगे चलते हुये निरन्तर पानी का छिड़काव करता जा रहा था।
कहीं बिजली के खम्बों के तारों में वाहन नहीं अटक जाये इसके लिए भी पेशवाई के आगे तार ऊंचा करने वाला वाहन चल रहा था। श्री निरंजनी अखाड़े की इस पेशवाई का रास्ते भर नागरिकों ने भव्य स्वागत किया, स्थान-स्थान पर नागरिकों ने पुष्पवर्षा की।