जयपुर। बदलते जमाने के साथ लाइफ पार्टनर चुनने के तौर तरीकों में भी बदलाव आ चुका है। युवा और युवतियां अब खुद अपना जीवन साथी चुनने में अधिक रुचि लेते हैं। हालांकि वे पेरेंटस के दखल को इग्नोर नहीं कर पाते पर अपनी पसंद और नापंसद पर बेबाकी से बोलने लगे है।
यूथ में अपनी मैरिज लाइफ के प्रति आई अवेयरनेस का असर है कि पेरेंटस भी बच्चों के लिए बेहतर जीवन साथी चुुनने के प्रति काफी गंभीर हो गए हैं।
मेट्रिमोनी वेबसाइट ‘मैरी मैचिंग डॉट कॉम’ का दायरा बढा
कभी रिश्तेदारी और मिलने वालों के जरिए होने रिश्ते तय करने की परंपरा नहीं के बराबर रह गई है। वजह यह कि इसमें विकल्पों की सुविधा कम है। ऐसे में मेट्रोमेनी का ट्रेंड युवा और युवतियों को बेस्ट लाइफ पार्टनर चुनने के अवसर देता है। यह कहना है मैरी मैचिंग डॉट कॉम की डायरेक्टर नीलिमा सैनी का।
उन्होंने बताया कि जिस तरह से तलाक और पारिवारिक विवादों के मामलों में बढोतरी देखी जा रही है उसके पीछे मुख्य कारण बराबर का रिश्ता नहीं हो पाना है। जब जीवन साथी चुनने का वक्त था तब गंभीरता से फैसला नहीं लिया गया तो ऐसे रिश्ते कुछ समय तक चलने के बाद दम तोड देते हैं।
अधिकतर मामलों में देखा गया है कुछ साल चलने के बाद टूटे वैवाहिक रिश्तों के पीछे पति पत्नी एक दूसरे पर दोष मंढते हैं। पेरेंटस की तरफ से सुलह की कोशिशें नाकाम रहती हैं और लाखों खर्च करके की गई शादी पल भर में दरक जाती है। सात जनम तक साथ निभाने के प्रण भी रिश्ते को बांधे रखने में कामयाब नहीं हो पाते।
सैनी ने बताया कि इन सब समस्याओं निजात पाने का मेट्रोमेनी एक बेहतर उपाय हो सकता है। मेट्रोमेनी के जरिए बेहतर जीवन साथी ढूंढने के अधिक अवसर होते हैं। युवा और युवतियां अपनी पसंदीदा प्रोफाइल पर विजट कर सकते हैं। पसंद आने पर ही बात आगे बढती है और एक दूसरे के विचारों और स्टेटस के प्रति सहमत होने के बाद ही रिश्ता बनता है और एक दूसरे को कभी न जानने वाले दो अनजान जन्म जन्मांतर के लिए एक दूजे के हो जाते हैं।