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भारत एसएडब्ल्यूईएन का औपचारिक सदस्य बनेगा - Sabguru News
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भारत एसएडब्ल्यूईएन का औपचारिक सदस्य बनेगा

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भारत एसएडब्ल्यूईएन का औपचारिक सदस्य बनेगा
cabinet nod to adopt statute of SAWEN to check wildlife crimes
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत के दक्षिण एशिया वन जीवन प्रवर्तन नेटवर्क (एसएडब्ल्यूईएन) के विधान का अनुपालन करने तथा भारत को इसका औपचारिक सदस्य बनने को मंजूरी दे दी है।

इसकी बदौलत संचार, समन्वय, गठबंधन, क्षमता निर्माण एवं क्षेत्र में सहयोग के जरिए सीमा वन जीवन अपराध को नियंत्रित करने के लिए भारत के सदस्य देशों के साथ रिश्ते मजबूत होंगे।

एसएडब्ल्यूईएन दक्षिण एशिया के आठ देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान एवं श्रीलंका से निर्मित एक क्षेत्रीय नेटवर्क है।

इसका उद्देश्य क्षेत्र में अवैध व्यापार का मुकाबला करने के लिए समान लक्ष्यों एवं दृष्टिकोणों के जरिए वन जीवन अपराधों से निपटने के लिए एक मजबूत क्षेत्रीय अंतः सरकारी निकाय के रूप में काम करना है।

एसएडब्ल्यूईएन विधान का अनुपालन करने के द्वारा भारत क्षेत्र एवं इसके आसपास वन जीवन अपराध से निपटने में क्षेत्रीय अंतः सरकारी संगठन का एक हिस्सा बन जाएगा।

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सदस्य देशों के वनस्पतियों एवं जीव-जन्तुओं के संरक्षण से संबंधित कानूनों एवं नीतियों में समन्वय लाने एवं मानकीकरण के लिए कदम उठाना। अवैध शिकार एवं अवैध व्यापार तथा क्षेत्र के देशों के भीतर एवं आसपास प्राकृतिक जैव-विविधता पर संबंधित खतरों के रूझान का दस्तावेज बनाना।

अनुसंधान एवं सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता, अनुभवों एवं पहुँच को साझा करने के द्वारा वन-जीवन अपराध का मुकाबला करने के लिए संस्थागत कदमों को मजबूत बनाना और सदस्य देशों को वन-जीवन अपराधों पर अंकुश लगाने तथा कारगर क्रियान्वयन की दिशा में गठबंधन करने के लिए उनकी राष्ट्रीय कार्ययोजनाओं को तैयार करने एवं क्रियान्वित करने के लिए प्रोत्साहित करने जैसे कदमों का निर्धारण किया गया है।

दक्षिण एशिया क्षेत्र बेशकीमती जैव-विविधता और बड़े बाजारों की उपस्थिति तथा दक्षिण-पूर्ण एशिया क्षेत्र में वन-जीवन उत्पादों के लिए आवागमन के रास्तों के कारण अवैध व्यापार तथा वन-जीवन अपराधों के लिए काफी असुरक्षित है। क्षेत्र में वन-जीवन सुरक्षा के समन्वय तथा प्रवर्तन में आपसी सहयोग को ऐसी बेशकीमती जैव-विविधता के कारगर संरक्षण के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।