सबगुरु न्यूज-सिरोही। लम्बे इंतजार भाजपा की जिला कार्यकारिणी आखिर घोषित हो गई। नाम सामने आते ही भाजपा जिलाध्यक्ष की ओर से जारी सूची में शामिल हुए लोगों के गांवों को भाजपाइयों ने पहले निहारा। उसके बाद प्रतिक्रिया आई।
सभी मंडलों को समान भागीदारी नहीं देने और कार्यकारिणी के आधे से ज्यादा सदस्यों को एक ही विधानसभा से रखने की। अरठवाडा गांव के ही सूरजपालसिंह और भरत जैन के नामों का एकसाथ होना भाजपाइयों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर एक ही गांव से दो लोगों को जिला कार्यकारिणी में लेने के पीछे प्रभारी मंत्री और सांसद के बीच के शीत युद्ध की मजबूरी तो नहीं।
-चुनाव लड़ने का कयास
इस कार्यकारिणी में लुम्बाराम चैधरी के माध्यम से सांसद देवजी पटेल, राज्यमंत्री ओटाराम देवासी तथा आरएसएस के लोगों की समान भागीदारी दिख रही है। इस पर भी भाजपाइयों को लग रहा है कि इसमें लुम्बाराम चैधरी के करीबियों को ज्यादा जगह दी गई है। सिरोहीे विधानसभा के लुम्बाराम चैधरी के करीबियों का ज्यादा प्रतिनिधित्व से इस बात का कयास लगाया जा रहा है कि यह कार्यकारिणी चैधरी या उनके किसी वरदहस्त कर चुनावी कार्यकारिणी है।
लुम्बाराम चैधरी ने जिला कार्यकारिणी में कुल 20 पदाधिकारियों की घोषणा की । इसमें सिरोही-शिवगंज विधानसभा से 13, रेवदर विधानसभ से 4 और पिण्डवाडा-आबू विधानसभा क्षेत्र से मात्र तीन 3 लोगों को स्थान दिया गया है। सिरोही विधानसभा में सिरोही और शिवगंज तहसील से जिन लोगों को जगह दी गई, इनमें प्रभारी मंत्री के करीबी कुछ ज्यादा नजर नहीं आए। रेबारी समाज के एक व्यक्ति को इस कार्यकारिणी में स्थान दिया गया वह भी रेवदर विधानसभा के हैं। सिरोही विधानसभा क्षेत्र के रेबारी समाज का विधायक होते हुए इस क्षेत्र से एक भी रेबारी इस कार्यकारिणी में नहीं दिया जाना भी भाजपाइयों में चर्चा का विषय है।
-सभी मंडलों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं
माउण्ट आबू नगर मंडल से एक भी व्यक्ति को इस कार्यकारिणी में शामिल नहीं किए जाने से भाजपाई इसमें सभी दस मंडलों की समान भागीदारी नहीं दिए जाने का भी आरोप लगा रहे हैं। वैसे यह विरोध अंदरखाने पनप रहा है। कार्यकारिणी को लेकर ज्यादा माथापच्ची इसलिए भी सामने नहीं आ रही है कि लुम्बाराम चैधरी खुद पहले ही विरोध में छाए रहे। अपनी ही पार्टी के लोगों के द्वारा इनके पुतले भी जलाए जा चुके हैं।
दूसरा पिछले ढाई साल में जिला और मंडल की कार्यकारिणी में शामिल पदाधिकारियों को सिरोही से जयपुर तक कितनी प्राथमिकता मिल रही है यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। यह देखकर भी सक्रीय और जुझारू भाजपाई अभी चुप्पी साधे बैठे है। एक सक्रीय कार्यकर्ता यह कहते हुए अगले विधानसभा चुनावों की स्थिति को बताता गया कि पार्टी कार्यकारिणी के सदस्यों की अहमियत विपक्ष में होती है, ऐसे में 2018 तक ढाई साल इंतेजार करना कोई बड़ा वनवास नहीं है। वैसे चर्चा यह भी हैं कि इस कार्यकारिणी में तीनों विधायकों की राय को तो लगभग हाशिये पर डाल दिया गया है। भाजपाइयों का यह भी कहना है कि अभी कुछ और जगह बन सकती है, ऐसे में कार्यकारिणी विस्तार का इंतजार किया जाना वे बेहतर मानते हैं।