नई दिल्ली/बीजिंग। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के चीन दौरे के बीच सरकारी समाचार पत्र ने लेख के माध्यम से कहा है कि भारत एक खूबसूरत स्त्री बनना चाहता है जिसपर हर पुरुष आकर्षित हो। पत्र का मानना है कि भारत विश्वशक्तियों के बीच इधर-उधर होते हुए अपनी महत्वकांक्षाएं पूरी करना चाहता है।
देश के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में दो अलग-अलग लेखों में इस बात को कहा गया है। लेख हाल ही में भारत और अमरीका के बीच ‘लॉजिस्टिक स्पोर्ट एग्रीमेंट’ (एलएसए) को ध्यान में रखकर लिखे गए हैं। अखबार इस समझौते को ‘अधिग्रहण और क्रॉस सर्विसिंग समझौते’ के तौर पर देख रहा है।
‘ग्लोबल टाइम्स’ के लेख के मुताबिक एलएसए असल में एक अव्याख्यादित सैन्य समझौता है जिसके तहत भारत चीन की बढ़ती सैन्य ताकत का प्रतिकार करना चाहता है। एलएसए पर लिखे लेख में पत्र ने कहा है इससे स्पष्ट हो रहा है कि समझौते के ज़रिये चीन के खिलाफ भारत और अमरीका एक नांव पर सवार होने जा रहे हैं।
अखबार ने कहा कि शीत युद्ध के दौरान भारत की गुटनिर्पेक्ष नीति से अलग अब भारत एक विशेष नीति के तहत काम कर रहा है। एक तरफ वह चीन को नाराज नहीं करना चाहता वहीं दूसरी ओर अमरीका और पश्चिम के नज़दीक जाना चाहता है।
‘भू-राजनीतिक तनाव से भारत का हित साधना’ नाम से लिखे दूसरे लेख में भारत की विदेशनीति पर कई प्रकार की टिप्पणी की गई है। दैनिक समाचार पत्र का कहना है कि भारत की गुट निरपेक्षता की नीति में मोदी सरकार के आने के बाद बदलाव आयें हैं जिसे प्रबुद्ध जन नकार रहे हैं।
पत्र ने अपनी बात साबित करने के लिए तीन प्रमाण दिये हैं। चीन के जपान और अमेरिकी संमुद्री सीमा विवाद पर भारत अमेरिका का साथ दे रहा है। पश्चिम से टकराव से बचने के लिए भारत ने मध्यएशिया और वैश्विक मुद्दों पर चीन और रूस का साथ देने से इंकार कर दिया है। इसके अलावा भारत रूस-चीन और जापान-अमरीका के बीच टकराव का लाभ उठाना चाह रहा है।
पत्र का यह भी कहना है कि भारत ब्रिक्स का सदस्य देश इसलिए बना है कि वह चाहता है कि विश्व में अलग-अलग शक्ति केन्द्र बने रहें और साथ ही वह रूस-चीन के साथ का लाभ उठा सके।