Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
ब्रिटेन से वापस नहीं ले सकते कोहिनूर, लूटा नहीं गिफ्ट किया था - Sabguru News
Home Breaking ब्रिटेन से वापस नहीं ले सकते कोहिनूर, लूटा नहीं गिफ्ट किया था

ब्रिटेन से वापस नहीं ले सकते कोहिनूर, लूटा नहीं गिफ्ट किया था

0
ब्रिटेन से वापस नहीं ले सकते कोहिनूर, लूटा नहीं गिफ्ट किया था
interesting facts about kohinoor diamond
interesting facts about kohinoor diamond
interesting facts about kohinoor diamond

नई दिल्ली। ब्रिटेन से कोहिनूर हीरे को देश में वापस लाने पर केंद्र सरकार ने अपनी असमर्थता जताई है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि भारत सीधे तौर पर कोहिनूर पर दावा नहीं कर सकता क्योंकि कोहिनूर को लूट कर नहीं ले जाया गया था। 1849 सिख युद्ध में हर्जाने के तौर पर दिलीप सिंह ने कोहिनूर को ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपा था।

सॉलिसिटर जनरल ने मुख्य न्यायाधीश टी.एस ठाकुर से कहा कि अगर भारत कोहिनूर को वापस मांगेगा तो दुसरे मुल्कों की जो चीज़ें भारत के संग्रहालयों में हैं उन पर भी विदेशों से दावा किया जा सकता है।

इस पर अदालत ने कहा की हिन्दुस्तान ने तो कभी भी कोई उपनिवेश नहीं बनाया न दूसरे की चीज़ें अपने यहां छीन कर रखी। अदालत ने कहा कि जैसे टीपू सुल्तान की तलवार वापस आई, हो सकता है आगे भी ऐसा ही हो।

सुप्रीम कोर्ट में कोहिनूर हीरो को देश में वापस लाने की मांग पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार से छह हफ्ते के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही एक हलफनामा दायर कर बताने को कहा गया है कि कोहिनूर को वापस लाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस याचिका को लंबित रखा जाएगा क्योंकि अगर यह खारिज होती है तो मामला कमजोर हो जाएगा और दूसरे देशों को यह कहने का मौका मिलेगा कि सुप्रीम कोर्ट ने मामला खारिज कर दिया।

दुनिया में क्यों खास है कोहिनूर हीरा

माना जाता है कि कोहिनूर दुनिया का सबसे मशहूर डायमंड है। यह आंध्रदेश की गोलकोंडा खनन क्षेत्र से निकाला गया था। मूल रूप में 793 कैरेट का था लेकिन अब यह 105.6 कैरेट का रह गया है। कोहिनूर का वर्तमान में वजन 21.6 ग्राम बताया जाता है। यह दुनिया में आकार के लिहाज से सबसे बडा हीरा माना जाता रहा है।

मुगलों ने दिया बाबर हीरा नाम

कहा जाता है कि 1304 के आसपास यह मालवा के राजा महलाक देच की संपत्ति का हिस्सा था। इसके बाद बाबरनामा में उल्लेख मिलता है कि ग्वालियर के राजा विक्रमजीत सिंह ने अपनी संपत्ति 1526 में पानीपत के युद्ध के दौरान आगरा के किले में रखवा दी थी। तब बाबर ने युद्ध जीतने पर किले पर कब्जा कर लिया और तब 186 कैरट का हीरा भी उसके कब्जे में आ गया। उसके बाद कोहिनूर हीरा बाबर हीरा नाम से मुगलों के पास ही रहा।

नादिर शाह ने दिया कोहिनूर नाम

1738 में ईरानी शासक नादिर शाह ने मुगल सल्तनत पर हमला किया और 1739 में उसने दिल्ली के तब के शासक मोहम्मद शाह को हरा कर उसे बंदी बना लिया और शाही ख़जाने को लूटा। इस लूट में बाबर हीरा भी उसके हाथ लग गया और उसने इसका नाम बदल कर कोहिनूर हीरा रख दिया।

इस तरह अफगानिस्तान पहुंचा कोहिनूर

महज 14 साल के शाहरुख मिजा की नादिर शाह के सेनापति अहमद अब्दाली ने काफी मदद की थी तो बदले में मिर्जा ने कोहिनूर हीराम अहमद अब्दाली को भेंट कर दिया। अहमद अब्दाली इस हीरे को लेकर अफगानिस्तान तक पहुंचा। तब से यह हीरा अब्दाली के वंशजों के पास रहा। अबछाली वंशज के शुजा शाह के लाहोर पहुंचने तक कोहिनूर उनके पास था।

रणजीत सिंह ने शूजा से हासिल किया कोहिनूर

उस दौर में पंजाब में सिख राजा महाराजा रणजीत सिंह शासन कर रहे थे। उन्हें जब पता चला कि कोहिनूर शूजा के पास है तो उन्होंने जतन कर शूजा को मनाया तथा 1813 में उनसे कोहिनूर हासिल कर लिया और इसे अपने ताज में सजवा लिया। सन 1843 में रणजीत सिंह की की मौत के बाद कोहिनूर उनके बेटे दिलीप सिंह तक पहुंचा।

दिलीप सिंह के हाथ से इस तरह निकला कोहिनूर

इसी बीच साल 1849 में ब्रिटेन ने महाराजा दिलीप सिंह को हरा दिया। मजबूरन दिलीप सिंह ने लाहौर संधि पर तत्कालीन गर्वनर जनरल लॉर्ड डलहौजी के साथ हस्ताक्षर किए। इस संधि के तहत ही कोहिनर इंग्लैंड की महारानी को सौंपना पडा। डलहौजी 1850 में कोहिनूर को मुंबई लेकर आए और मुंबई से ही 6 अप्रेल 1850 को कोहिनूर लंदन भेज दिया गया।

ब्रिटेन की महारानी के ताज में सज गया कोहिनूर

कहा जाता है कि 3 जुलाई 1850 को कोहिनूर बकिंघम पैलेस में महारानी विक्टोरिया के सामने लाया गया। तब हीरों को तराशने वाली मशहूर डच कंपनी कोस्टर ने 38 दिन के भीतर इसे हीरे को नया शेप दिया। इस दौरान इसका वजन घट कर 108.99 कैरेट रह गया। नया तराश कोहिनूर तब से रानी के ताज का हिस्सा बना। कहा जाता है कि कोहिनूर का वजन अब 105.6 कैरेट है।

भारत ही नहीं पाकिस्तान भी चाहता है कोहिनूर

भारत की आजादी के बाद से कोहिनूर वापस सुर्खियों में तब आया जब यह कोहिनूर को वापस भारत लाए जाने की मांग उठने लगी। इसी के चलते भारत ने 1953 में ब्रिटेन से कोहिनूर वापस मांगा लेकिन ब्रिटेन ने सौंपने से इनकार कर दिया। साल 1976 में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो ने भी ब्रिटेन से कोहिनूर उसे सौंपे जाने की मांग उठाई थी जिसे भी ब्रिटेन ने सिरे से खारिज कर दिया था।