सूरत। आसाराम और नारायण सांई के ठिकानों पर आयकर विभाग ने की कार्रवाई में जब्त किए हुए दस्तावेजों की जांच में पता चला है कि कई सौदे 10-12 साल पहले हुए हैं, लेकिन नियम के अनुसार विभाग केवल छह साल तक के केस खोल सकता है। ऐसे में विभाग के लिए असमंजस की परिस्थिति खड़ी हो गई है।
आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार लगभग आठ महीने पहले सूरत आयकर विभाग की डीआई विंग ने आसाराम तथा नारायण सांई और उनके साथ आर्थिक व्यवहार करने वालों के कुल 73 ठिकानों पर छापे मारे थे। सूरत, अहमदाबाद, पूणे, इन्दौर, सहित कई स्थानों पर की गई कार्रवाई में विभाग को रियल एस्टेट में निवेश तथा लगभग 3000 करोड़ रुपए ब्याज पर दिए होने संबंधित दस्तावेज मिले थे।
इसके आधार पर विभाग को बड़ी रकम की कर चोरी मिलने की उम्मीद नजर आ रही थी। आयकर विभाग इन दिनों जब्त किए हुए दस्तावेजों की जांच कर रहा है। इस सिलसिले में आसाराम से पूछताछ के लिए आयकर विभाग की टीम जोधपुर भी गई थी लेकिन ज्यादा पता नहीं चल पाया। अब विभाग की समस्या यह है कि दस्तावेजों में कई सौदे और निवेश 10-12 साल पहले के हैं।