नई दिल्ली। उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शासन हटाने के उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देने के लिए केन्द्र सरकार शुक्रवार सवेरे उच्चतम न्यायालय पहुंच गई है। अटाॅर्नी जनरल ने यहां पर दायर याचिका में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाने की मांग की है।
उत्तराखण्ड उच्चतम न्यायालय के निर्णय से हुई फजीहत से बचने के लिए केन्द्र सरकार के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था। वैसे उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद से ही भाजपा में हलचल तेज हो गई थी। अमित शाह ने राजनाथ सिंह के साथ मीटिंग की। इसके बाद रात को इस बात का अंतिम निर्णय कर लिया गया कि भाजपा शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में जाकर अपील करेगी कि उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शासन निरस्त करने के उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाई जाए। यह मामला न्यायाधीश दीपक मिश्रा की दो जजों वाली खण्डपीठ के समक्ष अटाॅर्नी जनरल मुकुल रोहतगी प्रस्तुत करेंगे।
इधर भाजपा का अभी मानना है कि उत्तराखण्ड में संवैधानिक संकट था, इस कारण वहां पर धारा 356 के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि वहां पर संविधान के मुताबिक शासन नहीं चल रहा था। विनियोग विधेयक पारित नहीं हुआ था। अब इस मामले में बड़ी अदालत के निर्णय का इंतजार है। वहीं केन्द्र सरकार के उच्चतम न्यायालय में जाने पर हरीश रावत ने कहा कि यह केन्द्र का अधिकार हैं, लेकिन उन्हें आशा है कि वहां भी केन्द्र सरकार को निराश ही होन पडेगा।