सूरत। वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय में हुए घोटालों की जांच करने के लिए गठित की गई समिति से एक सिंडीकेट सदस्य के इस्तीफे देने से अब नया विवाद शुरू हो गया है।
उच्च अदालत का हवाला देकर मेडिकल कांड की जांच रोक दी गई थी और नासा वाले मामले में तो जांच शुरू ही नहीं हो सकी। इस बीच अचानक एक सदस्य के इस्तीफे देने से विश्वविद्यालय में तरह तरह की बातें होने लगी हैं। दोनो ही घोटालों में दोषियों को बचाने के लिए षडयंत्र रचा जाने का आरोप लगना शुरू हो गया है।
मेडिकल उत्तर पुस्तिका निशान घोटाला और नासा इवेन्ट में बिना टेंडर के करोड़ों रुपए खर्च करने का घोटाला विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए सिरदर्द बना हुआ है। दोनों ही मामलो में कुलपति पर भी कई तरह के आरोप लगे हुए हैं।
इन मामलों में दोषियों की तलाश करने के बजाय उनहें बचाने का भी आरोप लग रहा है। दोनों ही मामलों को लेकर राज्यपाल तक शिकायत की गई है। दोनों मामलो की जांच करने के लिए सिंडीकेट ने कुलपति को समिति का गठन करने का जिमा दिया था।
कुलपति ने दोनों सिमितियों में सिंडीकेट सदस्य वी.डी.नायक को नियुक्त किया था, लेकनि शुक्रवार को नायक ने अचानक ही इन समितियों में से इस्तीफा दे दिया है। गुरुवार को हुई सिंडीकेट की बैठक में मिनट्स के मामले को लेकर नायक और संजय देसाई के बीच विवाद हुआ था।
विवाद इतना बढ़ा की देसाई ने इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी। विश्वविद्यालय में चर्चा हो रही है कि नायक के इस्तीफे के पीछे का कारण संजय देसाई के साथ हुआ विवाद है। देसाई भी नासा इवेन्ट की जांच समिति में सदस्य है।
हालही में हुई एक्जिक्यूटीव कमेटी की बैठक में नासा के रुपए देने का निर्णय लिया गया था। इस कमेटी में भी देसाई सदस्य है। इसलिए देसाई को नासा की जांच समिति से बाहर करने के लिए कुलपति को ज्ञापन सौंपा गया था। अब नायक के इस्तीफा देने से यह विवाद और भी गहरा गया है।
आखिर जिम्मेदार कौन
मेडिकल कांड में निरीक्षक भी जिम्मेदार है या नहीं इसकी जांच शुरू ही नहीं हुई हैं। छात्र संगठनों के हंगामा करने के बाद मेडिकल कांड में जांच समिति गठित की गई थी। अदालत में याचिका दायर होने के कारण जांच समिति ने जांच शुरू नहीं की। अदालत ने याचिका खारिज कर दी तो लगा कि अब जांच शुरू होगी। लेकिन नायक के इस्तीफे के कारण जांच पर प्रभाव पड़ेगा। इस मामले में सीसी कैमरा फूटेज और कुछ ही लोगो के बयान लिए गए है। जांच रुक जाने के कारण निरीक्षक कौन थे वह बाहर नहीं आ पाएगा।
नासा का मामला ठंडे बस्ते में
नासा इवेन्ट में करोड़ों का खर्च हुआ है, इसमें किसी भी तरह की टेंडर प्रक्रिया नहीं की गई है। इसमें भी विवाद होने पर जांच समिति गठित की गई थी। इस मामले में तो आज तक जांच समिति की बैठक हुई भी नहीं है और नायक ने इस्तीफा दे दिया। अब जब तक नई समिति नहीं बनेगी, तब तक घोटाले की जांच डिब्बे में बंद रहेगी। विश्वविद्यालय में चर्चा हो रही है कि यह सारा षडयंत्र दोषियों को बचाने के लिए किया जा रहा है।