नई दिल्ली। देश के कई भागों में हाल के दिनों में सूखे के प्रभाव को देखते हुए केन्द्रीय जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती ने नदियों को जोड़ने को जोड़ने की योजना पर कार्य करने पर जोर दिया है। साथ ही कहा कि योजना के क्रियान्वयन को लेकर लोगों के बीच कई तरह की भ्रांतियां फैली है जिन्हें दूर करने की जरुरत है।
नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति की गत शुक्रवार को संपन्न 9वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि लोगों के बीच यह एक गलत धारणा बन चुकी है कि नदियों को आपस में जोड़ने से समुद्र में नदी के जल के प्रवाह में तेजी से कमी आएगी।
लेकिन ऐसा नहीं है। हम नदी के मीठे जल के प्रवाह को नहीं रोक रहे हैं, बल्कि सिर्फ मॉनसून और बाढ़ के अतिरिक्तम जल को इन नदियों से कम प्रवाह वाली नदियों में ले जायेंगे। इससे किसी भी नदी के सामान्य जल प्रवाह पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
हाल के दिनों में देश में सूखा के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए योजना के महत्व को रेखांकित करते हुए उमा भारती ने कहा कि सूखे को देखते हुए नदियों को आपस में जोड़ने की योजना का तेजी से कार्यान्वयन और अधिक आवश्यक हो गया है।
ओडिशा राज्य में महानदी-गोदावरी संपर्क को लेकर लोगों के बीच फैली भ्रांतियां पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि लोगों के बीच योजना को लेकर यह मानना था कि महानदी में पहले से ही पानी कम है और फिर भी उसे गोदावरी से जोड़कर उसका बचा खुचा पानी भी गोदावरी में भेज दिया जाएगा।
पर जब उन्हें यह बताया गया कि महानदी को गोदावरी से जोड़ने से पहले सुवर्णरेखा-महानदी संपर्क के जरिए पहले महानदी में अतिरिक्त पानी छोड़ा जाएगा। तब वहां महानदी-गोदावरी संपर्क को लेकर व्याप्त भ्रांतियां दूर हो गई।
इसी तरह उन्होंने केन-बेतवा नदी संपर्क, दमन गंगा-पिंजाल और पार-तापी-नर्मदा संपर्क योजनाओं को भी जल्द शुरू किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। केन-बेतवा नदी को लेकर भारती ने यह उम्मीद जताई कि इसके पहले चरण का काम अगले तीन महीने के अंदर शुरू हो जाएगा।
काम शुरू हो जाने से लोग स्वयं इस योजना से होने वाले फायदों को महसूस कर सकेंगे। इसके लिए उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से अनुरोध किया कि इस योजना के पहले चरण के लिए आवश्यक वन्य संबंधी मंजूरी शीघ्रताशीघ्र उपलब्ध कराए, ताकि इस पर जल्द से जल्द काम शुरू किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की जुलाई- 2014 को हुई बैठक में नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति के गठन को मंजूरी दी गई थी।