नई दिल्ली। देश में आठ वर्षों के लंबे प्रयासों के बाद बहुप्रतीक्षित और व्यापक रूप से प्रशंसनीय रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 एक मई से प्रभावी हो जाएगा।
इसके अंतर्गत विश्वास, विश्वसनीय लेनदेन और परियोजनाओं के कुशल और समयबद्ध निष्पादन के माहौल में रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहन देने और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए संस्थागत बुनियादी ढांचे का सृजन और आवश्यक संचालन नियम बनाने की प्रक्रिया त्वरित गति से जारी है।
केंद्रीय आवासीय और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने इस अधिनियम में इस सप्ताह बुधवार को अधिनियम के कुल 92 अनुच्छेदों के 69 को अधिसूचित किया है। इस संदर्भ में जनवरी 2009 में राज्यों के आवासीय मंत्रियों और केन्द्रीय संघ शासित प्रदेशों के राष्ट्रीय सम्मेलन में रियल एस्टेट के लिए एक कानून का प्रस्ताव रखा था।
1 मई, 2016 को अधिनियम के प्रारंभ होने की अधिसूचना के अनुसार इस अधिनियम के अंतर्गत नियमों को केन्द्र और राज्य सरकारों के द्वारा अधिनियम की धारा 84 के अंतर्गत 31 अक्टूबर, 2016 तक अधिकतम छह माह की अवधि के भीतर नियम तैयार करने होंगे।
विधायिकाओं से रहित केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए आवासीय और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय जबकि दिल्ली के लिए शहरी विकास मंत्रालय नियम बनाएगा।
अधिनियम की धारा 84 के अंतर्गत अधिसूचना के द्वारा इस अधिनियम के प्रारंभ होने की छह अवधि के भीतर उपयुक्त सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों को संचालित करने के लिए नियम बनाएगी।
अधिनियम की धारा 20 के अनुसार उपयुक्त सरकार इस अधिनियम के प्रभावी होने की तिथि से एक वर्ष की अवधि के भीतर अधिसूचना के द्वारा रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण नामक एक प्राधिकरण की स्थापना करेगी जो इस अधिनियम के अंतर्गत प्रदान किए गए अधिकारों का उपयोग करते हुए कार्यों का निष्पादन करेगा यह प्राधिकरण खरीदारों और निर्माणकर्ताओं की शिकायतों पर 60 दिनों की अवधि में फैसला करेंगे।
अधिनियम की धारा 20 उचित सरकारों को यह अधिकार प्रदान करती हैं कि वे अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत नियामक प्राधिकरण की स्थापना तक अंतरिम नियामक प्राधिकरण के रूप में आवासों से संबंधित विभागों को देखने वाले सचिव स्तर के एक अधिकारी को कार्य के लिए निर्धारित करें। अधिनियम की धारा 85 के अंतर्गत प्रतिदिन के कार्यों से संबंधित नियामकों को तैयार करने के लिए तीन माह का समय लिया जाएगा।