बाराबंकी। जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिलाओं के डिलवरी के दौरान पांच नवजात बच्चियों की मौत हुई है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही करने का आरोप लगा है और सीएमओ ने कर्मचारियों की लापरवाही पर अपनी सफाई दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की है।
जानकारी हो कि राजधानी से बीस किलोमीटर की दूरी पर बाराबंकी जनपद में एक ही दिन में एक ही स्वास्थ्य केंद्र पर पांच नवजात बच्चों ने दम तोड़ दिया। एक के बाद एक नवजात बच्चों की मौत से जहां अस्प्ताल प्रशासन की नींद उड़ गई तो वहीँ उनकी खुशियां मातम में बदल गयी, जिनके घर इन बच्चों ने जन्म लिया था। बच्चों की मौत के बाद उनके परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे है।
मामला जनपद के तहसील फतेहपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। जहां सुबह से शुरू हुआ नवजात बच्चों की मौत का सिलसिला और देर रात तक जारी रहा। पूरे दिन यहां एक के बाद चार नवजात शिशुवों की मौत से स्वास्थ्य विभाग पर गम्भीर आरोप लगे हैं। डिलीवरी के दौरान स्टाप नर्स सबा कुरैसी वहां बच्चों की डिलीवरी करवा रही थी।
वही एक के बाद एक हुई मौत के कारण दिन भर पीड़ित परिवारों का कोहराम मचा रहा। पीड़ित परिवार में सबसे पहली घटना मोहम्मदपुर खाला थाना अंतर्गत खड़ेहरा गांव निवासी लवकुश की पत्नी रेनू यादव की है, जिनको जुड़वा बच्ची पैदा हुई थी और दोनों की तत्काल मौत हो गई इसी तरह दूसरी घटना गड़ौली गंव निवासी राकेश की पत्नी दुलारा ने एक बच्ची को जन्म दिया था उसकी भी 20 मिनट के बाद मौत हो गई।
वहीं तीसरी घटना सूरतगंज के बैलमउ गांव के रोहित की पत्नी अंजू की है, जिनको एक लड़की पैदा हुई थी उसकी भी 15 मिनट बाद मौत हो गई। वही रमपुरवा निवासी रामखेलावन की पत्नी कान्ती देवी ने एक लड़के को जन्म दिया, जिसके बाद उसकी भी वाही मौत हो गई। इन सभी पांचों प्रसव को यहां की स्टाप नर्स सबा कुरैशी ने जैसे तैसे निपटाया लेकिन कोई भी बच्चा जीवित नहीं बचा।
वहां के लोगों ने बताया कि वहां तैनात महिला चिकित्सक डॉ शाबाना बानों गुरूवार को अवकाश पर थी। सीएचसी पर तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मोहिता भी केवल हस्ताक्षर बना कर चली गई थी। सामुदायिक केंद्र के प्रभारी डॉ आरसी वर्मा 10 दिन के अवकाश पर चल रहे हैं।
पीड़ित परिवार राकेश और उनकी पत्नी दुलारा अस्प्ताल प्रबंधन पर प्रसव के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे है। उनका आरोप है कि प्रसव के दौरान डाक्टर नदारद रहते हैं और अप्रिशिक्षित लड़कियां प्रसव कराने का काम करती है तो वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी सतीश चंद्रा ने बताया की बच्चों की मौत का कारन प्री-मेच्योर, खून की कमी या फिर मरे हुए बच्चे का जन्म होना बता कर अपना पल्ला झाड़ रहा है।
उनका ये कहना है की जांच भी करवाई जा रही है अगर लापरवाही होगी तो कार्यवाही तय होगी मामला कुछ भी हो मगर नवजात बच्चों की मौत के विषय में स्वास्थ्य विभाग की यह दलीलें किसी के गले नहीं उतर पा रही हैं।