मुंबई। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी-मुंबई) के वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे समुद्र के खारे पानी को पीने के पानी जितना साफ बनाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे प्रतिदिन करीब 63 लाख लीटर पानी साफ किया जा सकता है। यह सूखे की स्थिति से जूझते देश के लिए एक अच्छी खबर है।
गौरतलब है कि मानसून की बेरुखी से पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है। महाराष्ट्र का विदर्भ-मराठवाडा क्षेत्र पानी के लिए खून के आंसू रो रहा है। ऐसे में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के प्रयास से 63 लाख लीटर पानी प्रतिदिन उपलब्ध हो सकता है तो इससे अच्छी खबर क्या हो सकती है? सेंटर के अनुसार इसका पायलट प्लांट तमिलनाडु के कलपक्कम में लगाया गया है।
इस प्लांट में परमाणु रिएक्टर से निकलने वाले भाप की मदद से निकलने वाले समुद्र के खारे पानी को पीने के पानी जितना साफ बनाया जा सकता है। बीएआरसी के निदेशक केएन व्यास के अनुसार इस तरह के कई प्लांट पंजाब, पश्चिम बंगाल व राजस्थान में लगाए गए हैं। इसके अलावा रिसर्च सेंटर ने कई ऐसे मेंब्रेन विकसित किए हैं, जिसकी मदद से यूरेनियम व आर्सेनिक युक्त भूजल को भी साफ कर पीने लायक बनाया जा सकेगा।