अजमेर। अजमेर स्थित सोमलपुर में सूफी संत बाबा बादामशाह का 52वां सालाना उर्स एवं भण्डारा बाबा साहब की दरगाह शरीफ पर मंगलवार तड़के 5 बजे कुल की रस्म के साथ सम्पन्न हो गया।
बाबा बादाशाह के उर्स में बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने हाजिरी दी और शानो अजमत एवं श्रद्धा के साथ चादर पेश की। रात्रि में बाबा बादामशाह की दरगाह दूधिया रोशनी में नहाई दिखी।
अरावली पर्वतमाला के बीच बाबा की दरगाह अलग ही छटा बिखेर रही थी, मानो सभी को सुख, शाति, अमन, भाईचारा, सदभाव और समभाव से रहने का संदेश दे रही हो। इससे पहले रात्रि में बाबा की शान में कव्वालों ने सूफीयाना कलाम पेश किए, महफिल रात भर चली।
उवैसिया रूहानी सत्संग आश्रम के अध्यक्ष गुरुदत्त मिश्रा ने बताया कि शाम को बाबा बादामशाह की दरगाह पर अकीदतमंदों का सैलाव उमड़ा। दूर-दराज से आए जायरीन हाथों में मखमली और पुष्प की चादरें लिए थे। चादर के जुलूस के आगे कव्वाल कलाम पेश करते चल रहे थे। चादर के जुलूस में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी शिरकत की।
इससे पहले सोमवार को सुबह सेवा, सुमिरन, ध्यानादि का आयोजन हुआ। दोपहर भोजन प्रसादी के बाद शाम 5 बजे तक भजन, सत्संग व आध्यात्मिक चर्चा की गई। इसके बाद चादर पेश करने का दौर चला।
जायरीन अपनी मुरादें पूरी होने पर बाबा साहब की खिदमत में चादरें पेश कर अपना शुकराना अदा करते रहे। शाम 7 बजे से 9 बजे तक बाबा का लंगर ( भण्डारा ) हुआ जिसमें हजारों अकीदतमंद शामिल हुए।
रात्रि 9 बजे से सुबह 4 बजे तक वर्तमान गुरु मुनेन्द्र दत्त मिश्रा ‘उवैसी’ की सदारत में प्रतिवर्ष की भांति कव्वालियों की महफिल आयोजित हुई। जिसमें जयपुर के कव्वाल अनवार, अजमेर के कव्वाल अगन एवं कुर्बान व साथियों सहित कई कव्वालों की पार्टियों ने बाबा साहब की शान और अकीदत में कलाम पेश किए।
महफिल के बाद सुबह सभी कव्वाल पार्टियों द्वारा सामूहिक रूप से रंग व सलाम पेश किया गया, इसके पष्चात कुल की रस्म एवं प्रसाद वितरण के साथ उर्स का समापन हो गया।