कानपुर। फर्रूखाबाद की रहने वाली लेडी डॉन के नाम से चर्चित युवती की हत्या के आरोपी बसपा नेता रविवार को कानपुर स्थित बसपा कार्यालय में आयोजित एक मीटिंग में नजर आए। इस दौरान वह मीडिया के कैमरों से खुद की फोटो कैद होने से बचाते रहे।
बसपा नेता पर लगे आरोप के बारे में जब मीडिया ने पार्टी के जोनल को-आर्डिनेटर से सवाल पूछे तो उन्होंने पत्रकारों से अभद्रता कर भाग जाने की नसीहत दे डाली।
नवीन मार्केट स्थित बसपा कार्यालय में जोनल को-आर्डिनेटर अशोक सिंह रविवार को आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के साथ-साथ संगठन, पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने आए थे।
बैठक में आस-पास जिलों से विधानसभा उम्मीदवारों से लेकर भारी सख्यां में पार्टी कार्यकर्ता आए थे। इस दौरान फर्रुखाबाद की रहने वाली मीरा जाटव (लेडी डॉन) की हत्या के आरोपी व फरार चल रहे बसपा नेता महेन्द्र सिंह कटियार भी मौजूद देखे गए।
मामले में मीडिया ने महेन्द्र सिंह कटियार से मीरा जाटव की हत्या के बारे में पूछा तो वह भागते नजर आए और हर प्रश्नों के उत्तर में यही कहा कि मुझे कुछ नहीं कहना मेरे ऊपर कोई भी आरोप नहीं है।
यह सब देख वहां मौजूद बसपा के नेताओं ने मीडिया को कार्यालय के अन्दर आने से ही मना कर दिया और कैमरे में धक्का-मुक्की के साथ बदसलूकी करने लगे। किसी तरह से संवाददाता ने महेन्द्र सिंह कटियार से दोबारा बात करनी चाही तो जोनल को-आर्डिनेटर अशोक सिंह ने उन्हें कार्यालय से ही भगा दिया। उनकी यह हरकत कैमरों में कैद हो गई।
विपक्षी दलों पर साधते है निशाना
बसपा के जोनल को-आर्डिनेटर अशोक सिंह जहां एक तरफ विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहते है कि हर पार्टियां अपराध व अपराधियों से लिप्त है, वही दूसरी तरफ वह एक हत्या के मामले में आरोपी पार्टी नेता पर कार्रवाई के बजाए बचा रहे है।
इस मामले में जब उनसे पूछा गया तो उनका जबाब भी कुछ अलग तरीके का था। उनका कहना है कि अभी तो मुकदमा तय हुआ है आरोप नहीं, जब आरोप सही साबित होगा तब हम कार्रवाई करेंगे।
यह है मामला
आपको बताते चलें कि महेन्द्र सिंह कटियार वही बसपा नेता है जिन्होंने बेटे सहित पहले तो लड़की से बलात्कार किया फिर वहां के इंस्पेक्टर से मिल कर धनबल के जरिए उसे लेडी डॉन बना दिया।
यही नहीं उसे दो बार जेल भी भिजवा दिया और अंत में जब मीरा जाटव अपनी सुरक्षा को लेकर कानपुर में डीआईजी से मिलने आईं थी, तभी शाम को फर्रुखाबाद के इंस्पेक्टर नशीला पदार्थ मिलने की बात कह कर घर से ले जाते है और थाने में इतनी पिटाई कराते हैं, जिसके बाद उसे कानपुर के हैलट अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराना पड़ा और जिसके बाद 10 दिन तक जिन्दगी और मौत के बीच जंग लड़ने के बाद मीरा जाटव की मौत हो गई।