नई दिल्ली। कांग्रेस ने सरकार पर मालेगांव विस्फोट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इस मामले की सुप्रीमकोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि एनआईए को ‘नमो जांच एजेंसी’ बना दिया गया है।
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने रविवार को संवाददाता संम्मेलन में कहा कि मालेगांव विस्फोट मामले में एनआईए ने कोर्ट में जो चार्जशीट दाखिल की है उसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम आरोपी के रूप में जानबूझकर शामिल नहीं किया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाते हुए कहा कि मोदी संवैधानिक शपथ की मर्यादा को बनाए रखते हुए उच्चतम न्यायालय को मामले की जांच करने दें। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों को बचाना चाहते हैं।
शर्मा ने कहा कि इस आरोप पत्र से स्पष्ट हो गया है कि एजेंसी भाजपा सरकार के इशारे पर काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनआईए ने केंद्र सरकार के दबाव में साध्वी प्रज्ञा को इस मामले में क्लीनचिट दी है।
आरोप पत्र में आरोपी का नाम हटाकर घटना की जांच के काम में शामिल रहे और आतंकवादियों के साथ लड़ते लड़ते शहीद हुए जाबांज हेमंत करकरे का भी अपमान है।
इससे पहले कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया है कि शहीद हेमंत करकरे की एक बार फिर बीजेपी और एनआईए ने हत्या की है क्योंकि धमाके की जांच हेमंत करकरे ने की थी जो 26/11 हमले में शहीद हो गए थे।
मालेगांव में 29 सितंबर 2008 में बम विस्फोट हुआ था जिसमें सात लोगों की मौत हो गयी थी और 80 अन्य घायल हो गये थे। शुरू में इस मामले में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को गिरफ्तार किया गया था और बाद में कर्नल पुरोहित समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
एनआईए ने मुंबई की अदालत में मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोप पत्र दाखिल किया जिसमें साध्वी प्रज्ञा का नाम नहीं है।