भोपाल। वीजा उल्लंघन में दोषी पाई गई उज्बेकिस्तान की एक महिला ने भोपाल केंद्रीय जेल में बेटी को जम्र दिया है। अब इस महिला ने मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ जिला अदालत में आवेदन देकर 10 करोड़ रुपए के हर्जाने की मांग की है।
महिला के अनुसार यह जानते हुए कि मैं प्रेग्नेंट हूं, पुलिस मेरे साथ गलत तरीके से व्यवहार कर रही है। उसने यह भी लिखा है कि भोपाल मिसरोद पुलिस की लापरवाही की वजह से मुझे अपनी बेटी को भोपाल में जन्म देना पड़ा। पुलिस यदि मेरी मदद करती और वक्त पर उज्बेकिस्तान एंबेसी से बात कर लेती तो मुझे जेल में नहीं रहना पड़ता।
उज्जैन कुंभ खत्म होने से पहले मैं अपनी बच्ची के नामकरण और मुंडन के लिए सिंहस्थ जाना चाहती हूं। बार्नो ने मप्र सरकार से हर्जाने के तौर पर अपनी बच्ची के लिए उज्बेकिस्तान की सिटीजनशिप दिलाने, गुजर-बसर करने और वापस अपने देश भेजे जाने के लिए 10 करोड़ रुपए की मांग की है।
उज्बेकिस्तान निवासी 35 साल की डी जुरायवा बार्नो पर्यटन वीजा पर अगस्त में नेपाल आई थीं। वहां पर कुछ लोगों ने उसे बहला-फुसलाकर नशीला पदार्थ खिला दिया, जिससे वह बेहोश हो गईं। जब उसे होश आया तो उसने खुद को दिल्ली में पाया।
इसके बाद वह एक परिचित के साथ भोपाल आ गई। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक उज्बेकिस्तान निवासी महिला जुरायवा टूरिज्म वीजा पर 13 से 28 अगस्त 2014 तक के लिए नेपाल गई थी। फॉरेनर एक्ट की धारा 14- क के उल्लंघन में उसे गिरफ्तार किया गया।
अस्पताल के अधीक्षक के मुताबिक परिजनों को बेटी के जन्म की सूचना पहुंचा दी गई है। यह स्पष्ट नहीं है कि वह अपने पति के साथ रह रही थी या नहीं। गिरफ्तारी के बाद महिला ने यह भी बताया था कि उसके घर में सिर्फ मां है। उसके पिता की मौत के बाद वह उज्बेकिस्तान में रेस्टोरेंट में काम करती थी।