‘एक को जानो, एक को मानो, एक हो जाओ’ के दिव्य आध्यात्मिक संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए निरंकारी मिशन के चौथे गुरू बाबा हरदेव सिंह ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। बाबा के नेतृत्व में निरंकारी मिशन ने जहां विश्व ख्याति अर्जित की, वहीं पर इसके आध्यात्मिक एंव सामाजिक उत्थान के कार्यों को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी सराहा।
महान संत, 62 वर्षीय बाबा हरदेव सिंह जिन्होंने 13 मई 2016 को अपनी देह पंचतत्व में विलीन की, निरंकारी मिशन के प्रमुख थे। विगत सन 1980 में निरंकारी मिशन के तत्कालीन प्रमुख बाबा गुरबचन सिंह की निर्मम हत्या के बाद बाबा हरदेव सिंह को मिशन की कमान सौंपी गई।
विगत 36 वर्षों से वे निरंकारी मिशन के माध्यम से विश्व में प्रेम, शांति, मानवता और वैश्विक भाई चारे को फैलाकर आध्यात्म की पुण्य ज्योति जलाए रहे। यह देश- विदेश में उनकी अपार कल्याण यात्राओं का नतीजा था कि उन्होंने भारत वर्ष के कोने-कोने से लेकर विश्व के 27 देशों मे एक करोड़ से अधिक लोगों को ब्रह्म ज्ञान से सृजित करके आध्यात्म के पथ पर चलना सिखाया।
निरंकारी मिशन का आध्यात्मिक ध्येय, ‘एक को जानो, एक को मानो और एक हो जाओ’ है। वास्तव में निरंकारी मुहिम निराकार, स्वरूप रहित परमेश्वर और मानव के मध्य अंतर संबंध स्थापित करके मानवता के आध्यात्मिक उत्थान की है। प्राचीन काल से ही ऋषि परंपरा है कि सच्चे गुरू के द्वारा ही ईश्वर को पाया जा सकता है।
निरंकारी मिशन इस पुरातन सत्य की पुष्टि करता है, इसका मत है कि सच्चे गुरू के जरिए परमात्मा की प्राप्ति ही जीवन का ध्येय है और मानव का परमात्मा से जुड़ने से वैश्विक भाईचारा स्थापित होता है जो संसार की शांति और प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है।
निरंकारी मिशन के तीव्र गति से उत्थान और व्यापक स्तर पर इसे स्वीकारे जाने के पीछे एक मुख्य कारण यह है कि मिशन का आध्यात्मिक जागृति के प्रति दृष्टिकोण अनुष्ठानिक क्रिया कर्म रहित है और यह एक परिव्यापक आध्यात्मिक आंदोलन है जो यह सुनिश्चित करना है कि हर व्यक्ति को आध्यात्मिक जागृति प्राप्त हो भले ही वह किसी भी जाति, समुदाय, धर्म अथवा सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठ भूमि से हो।
निरंकारी बाबा ने यह प्रचारित किया कि मूलत मानव आध्यात्मिक है। उसके जीवन का उद्देश्य आध्यात्मिक जागृति की राह पर चलते हुए और भौतिकता और आध्यात्मिकता के बीच समन्वय बनाकर सार्थक जीवन व्यतीत करना है। बाबा का कहना था कि आध्यात्मिकता हमें आत्मिक शक्ति प्रदान करके विपत्तियों से जूझ कर जीवन को नियंत्रित करने में सहायक होती है।
बाबा में आध्यात्मिक स्तर पर मजबूत परिवारों पर बल दिया कयोंकि उनका कहना था कि आध्यात्मिकता परिवार को नई जीवन दायिनी शक्ति देती है। इसलिए उन्होंने बाल संगत (बच्चों के सत्संग) को बढ़ावा दिया। बाबा ने वर्तमान युग की आवश्यकताओं को देखते हुए देश-विदेश के अंग्रेजी भाषी युवाओं के लिए अलग से अंग्रेजी संगतों की शुरुआत की ताकि अधिक से अधिक लोगों को मिशन के साथ जोड़ा जा सके।
आध्यात्मिक संगत व्यक्ति के भीतर रचनात्मक संस्कारों को सुदृढ़ करता है और बाबा का मानना था कि आध्यात्मिक तौर पर जागृत युवा एक स्वस्थ एवं समृद्ध समाज का निर्माण करने के लिए एक बड़ी शक्ति है। इसीलिए उन्होंने युवाओं को ब्रह्म ज्ञान प्रदान करके उन्हें आध्यात्मिक स्तर पर मजबूत बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। बाबा के नेतृत्व मे इस निरंकारी मुहिम के प्रति युवाओं में चुम्बकीय आकर्षण उत्पन्न हुआ।
बाबा विश्व शांति और सह अस्तित्व के दूत बन कर उभरे। उन्होंने सदैव मानव एकता के जरिए शांति और समरसता स्थापित करने की बात की। इनका कहना था कि यह तभी संभव है जब इंसान परमात्मा को अपना आधार बना लेता है। उन्होंने परमात्मा के साथ जुड़े रहने के लिए सत्संग, सुमिरन तथा सेवा को अपनाने पर जोर दिया।
बाबा ने आध्यात्मिक उत्थान के साथ-साथ मानव कल्याण पर बहुत बल दिया क्योंकि वह यही शिक्षा देते थे कि मानवता के प्रति प्रेम ही सच्चा धर्म है। उन्होंने मिशन के कल्याणकारी कार्यों को संत निरंकारी धर्माथ प्रतिष्ठान’ स्थापित करके एक संस्थागत रूप दिया। यह प्रतिष्ठान शिक्षा संस्थाओं के संचालन के अतिरिक्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और स्वास्थ्य एवं रक्तदान शिविरों का आयोजन करने में अग्रणी है।
यह बाबा की दूर दृष्टि का परिणाम ही है कि विशेषज्ञ सेवाओं से परिपूर्ण निरंकारी हैल्थ सिटी शीघ्र ही दिल्ली में अस्तित्व में आने जा रही है। बाबा हरदेव ने सदैव आध्यात्मिकता के जरिए महिला सशक्तिकरण एवं समानता स्थापित करने की बात की। यह इसी का नतीजा था कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने महिलाओं पर बने आयोग के 58 वें अधिवेशन में निरंकारी मिशन को आमंत्रित किया। सामाजिक सुधार के क्षेत्र में मिशन वर्षों से दहेज रहित सामूहिक विवाहों का सघन अभियान चलाया रहा है।
प्राकृतिक आपदाओं के समय भी मिशन के स्वयं सेवक जीजान से काम करते रहे हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण उत्तराखंड तथा कश्मीर में जल प्रलय और नेपाल में प्रलयकारी भूकंप में निरंकारी स्वयं सेवकों का अभूतपूर्व बचाव एवं राहत कार्य है। निरंकारी बाबा ने अपने अनुयायियों को मन की स्वच्छता के साथ-साथ वातावरण की स्वच्छता कायम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रत्येक वर्ष 23 फरवरी को बाबा के जन्मदिन के अवसर पर मिशन द्वारा पूरे देश में स्वच्छता अभियान चलाया जाता है। इसके साथ-साथ वातावरण संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है। इस वर्ष प्रधानमंत्री के ‘स्वच्छ भारत’ अभियान के अंर्तगत मिशन द्वारा किए गए कार्य को रेल मंत्रालय ने खूब सराहा।
स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत शहरी विकास मंत्रालय ने निरंकारी मिशन को ‘ब्रांड राजदूत’ का दर्जा प्रदान किया। बाबा के नेतृत्व में मिशन द्वारा आध्यात्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र में किए जा रहे विस्तृत कार्यों को पूरे विश्व में सराहा गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व समुदाय के उत्थान के लिए चलाए जा रहे ‘मिलिनयम डेवलपमेंट गोल’ कार्यक्रम में मिशन को विशेष सलाहकार का दर्जा प्रदान किया।
मिशन को वर्ष 2013 में महात्मा गांधी सेवा मैडल, 2014 में महात्मा गांधी शांति पुरस्कार तथा 2015 में ब्रिटिश महारानी मैडल से सम्मानित किया गया। वर्तमान में बाबा हरदेव सिंह की भौतिक देह हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके दिव्य आध्यात्मिक विचारों का स्पंदन मानवीय हृदय को झंकृत कर रहा है।
सच्चे आध्यात्मिक गुरू के रूप में बाबा अपने अनुयायियों के हृदय में सदैव अपना स्थान बनाए रहेंगे और उनका प्रेम और मानव एकता का सार्वभौमिक संदेश आने वाली पीढ़ियों को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता रहेगा।
विनोद बहल
लेखक निरंकारी मिशन की अंग्रेजी पत्रिका, ‘संत निरंकारी’ के संपादक हैं।