धर्मशाला। 16 वीं निर्वासित तिब्बती सरकार में लोकतांत्रित प्रणाली के जरिए लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने डा. लोबसांग सांग्ये शुक्रवार को आधिकारिक रूप से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ गए।
मैकलोडग़ंज स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर में मुख्यातिथि दलाईलामा की मौजूदगी में दार्जिलिंग में जन्मे डा. लोबसंग सांग्ये ने हजारों तिब्बतियों और बौद्ध भिक्षुओं की उपस्थिति में निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री के तौर पर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। तिब्बतियन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश आयुक्त कारग्यू डोंडुप ने सांग्ये को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं विधायक आर.के. खरीमे भी मौजूद रहे।
इस मौके पर डा. सांग्ये ने तिब्बती समुदाय की महत्वकांक्षाओं पर एक बार फिर से पूरा करने के लिए प्रण लिया। सांग्ये ने चुनाव प्रचार के दौरान नैतिक कमियों के लिए तिब्बती समुदाय से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि यह दुखद पल था जिसकी वजह से धर्मगुरु दलाईलामा भी व्यथित थे। मैंने इसके लिए धर्मगुरु से माफी भी मांगी। भविष्य में इस तरह की गलती कभी नहीं होगी, इसका हम प्रण लेते हैं।
उनकी सरकार मध्यमार्ग नीति से तिब्बत की आजादी के लिए काम करेगी। सांग्ये ने दावा किया कि हम अगले पांच वर्षों में तिब्बत की स्वायत्तता हासिल कर सकते हैं और चीन अगले 50 वर्षों में देश की बेहतरी के लिए धीरे-धीरे परिवर्तित होगा। सांग्ये ने निर्वासित तिब्बत सरकार को सहयोग देने के लिए भारत और धर्मगुरु दलाईलामा का आभार जताया।