भोपाल। देश के किसी भी किसी भी शहर या कस्बे में चले जाइए, अक्सर केमिस्ट एवं अन्य दुकानों पर कंडोम के पैकेट पर छपी आपत्तिजनक तस्वीरों के साथ रखा देखकर सामान लेने वाले सभ्य लोगों को असहज महसूस होने लगता है।
लोग ऐसे चित्रों को सीधे देखना नहीं चाहते, पर कंपनियों द्वारा जारी विज्ञापन के कारण देखनों को मजबूर हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्यों कि जल्द ही इन तस्वीरों पर बेन लगनेवाला है। निजी कंपनियों के द्वारा कंडोम पैकेट पर उपयोग की जा रही आपत्तिजनक तस्वीरों को सरकार, सेंसर बोर्ड या अन्य एजेंसियों द्वारा अनुमति नहीं दी जाएगी।
सु्प्रीम कोर्ट को सूचित करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन एक संयुक्त हलफनामा भेजेगा जिसमें निरोध व डिलक्स निरोध कंडोम के पैकेट पर रेग्युलेटेड तस्वीरों के साथ बाजार में सब्सिडाइज्ड रेट पर उपलब्ध होने की बात कहेगा। जिसके लिए कि सरकार ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है और जल्द ही केंद्र की ओर से इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर होने जा रहा है।
जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय उच्चतम न्यायालय को बताएगा कि सिनेमेटोग्राफ एक्ट, केबल टीवी एक्ट एंड रूल्स, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया गाइलाइंस के मौजूदा प्रावधानों के तहत शराब और तंबाकू से जुड़े कुछ उत्पादों के लिए सम्मान के साथ आत्म-नियमन और पूर्व प्रमाणीकरण का एक संयोजन निर्धारित किया जाता है। जिसे कि अपने आप में पर्याप्त माना जाता है लेकिन सरकार के पास कंडोम को आगे बढ़ाने की कोई योजना इस संदर्भ में अभी तक नहीं रही है। किंतु अब इसे लेकर ठोस योजना बनाई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने एडीशनल सॉलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह को कंडोम पैकेट का परीक्षण करने और इसके पैकेट्स पर आपत्तिजनक तस्वीरों के बारे में कोर्ट को बताने का निर्देश दिया था।
अप्रेल को बेंच ने सरकार से पूछा था कि क्या ऐसे विज्ञापनों को चलाने के लिए आपकी कोई योजना है? आप हमें यह भी बताइए कि क्या ऐसे विज्ञापन संज्ञेय अपराध में गिने जाएंगे। देखा जाए तो ठीक इसके एक माह बाद यह फैसला आया है।