इस्लामाबाद। अमरीका द्वारा पाकिस्तान में किए गए हमले में मारे गए तालिबानी सरगना मुल्ला अख्तर मंसूर की मदद पाकिस्तान के दो उच्च अधिकारियों ने इस हद तक की थी कि उसे फर्जी पहचान-पत्र दिलाने के साथ उसकी दूसरी पत्नी और बच्चों के लिए पाकिस्तान की नागरिकता तक दिला दी गई।
अब इन दोनों का राज जांच के बाद जैसे ही खुला, पाकिस्तान पुलिस ने इन दोनों अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया है। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय प्रवक्ता ने बताया कि बलूचिस्तान क्षेत्र में लेवीज बल के अंदर अजीज अहमद मेजर के पद पर कार्यरत रहते हुए 2001 में तालीबान के प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर का वली मुहम्मद के नाम से पाकिस्तानी पहचान पत्र सत्यापित किया था।
वहीं इसको मदद करने वाला दूसरा व्यक्ति रिफात इकबाल है जिसने कि राष्ट्रीय डेटाबेस एवं पंजीकरण प्राधिकरण (एनएआरडीए) में बतौर अधिकारी रहते हुए सरगना मंसूर फर्जीनाम वली मुहम्मद की दूसरी पत्नी और बच्चे को पाकिस्ताानी नागरिकता दिलाने में मदद की थी।
उल्लेखनीय है कि तालिबानी प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर को पाकिस्तान में 21 मई को दक्षिणपश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में अमेरिकी ड्रोन हमले में मार गिराया गया था। घटनास्थल से एक पाकिस्तानी कंप्यूटरीकृत पहचान-पत्र मिला था, जिसमें शख्स का नाम वली मुहम्मद और पता कराची लिखा पाया गया था।
इन्हीं आधारों पर पाकिस्तान ने शुरू में अमरीकी हमले में मंसूर के नहीं, बल्कि पाकिस्तानी शख्स के मारे जाने की बात कही थी। लेकिन बाद में डीएनए टेस्ट के बाद अमरीकी दावा सही साबित हुआ कि मरने वाला शख्स तालिबान सरगना मुल्ला अख्तर मंसूर ही था।