सबगुरु न्यूज-जयपुर। एसीबी ने आखिर सोमवार को एनआरएचएम में रिश्वत लेने के मामले में सोमवार को नीरज के पवन और अनिल अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया।
टीवी रिपोर्ट के अनुसार पूछताछ के बाद इन दोनों अधिकारियों की ओर से दी गई दलीलों से संतुष्ट नहीं होने पर एसीबी ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
इनके समेत चार अन्य अधिकारियों को एसीबी ने लम्बे समय से नजर रखने के बाद रिश्वत लेने के प्रकरण में 18 मई को कार्रवाई की थी। उस दौरान तीन अधिकारियों को तो गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन नीरज के पवन व आईईसी कम्पनी के डायरेक्टर अनिल अग्रवाल की गिरफ्तारी नहीं की गई थी।
-अजीत सोनी निभाता था दलाल की भूमिका
इस पूरे घूसकांड में पांच लोगों को एक नेटवर्क था। इसमें अजीत सोनी एक कड़ी के रूप में था। यही आईएस नीरज के पवन के लिए दलाल की भूमिका निभाता था। इस कांड का सबसे बड़ा अभियुक्त यही है। सोनी मेपल इवेंट कंपनी चलाता है। वूमन ऑफ फीचर अवार्ड का आयोजन भी यही करता रहा है। वह एक तरह से एनआरएचएम में रिश्वत और ठेकों का कंसल्टेंट था।
इसमें उसका सहयोग करते थे अनिल अग्रवाल। वहीं एनएचएम की चीफ अकाउंट ऑफिसर दीपा गुप्ता इस प्रकरण में टेंडरों से छेड़छाड़ करने, बिल का अटकवा कर पार्टी को मजबूर कर देती थी कि वह रिश्वत देवे। वहीं स्टोर कीपर जोजी वर्गिस इन रिश्वत के पैसों को इधर-उधर करने का काम करता था।
इस प्रकरण में सोनी, दीपा गुप्ता व जोजी वर्गिस को तो एसीबी ने उसी दिन गिरफ्तार कर लिया, लेकिन एक ही धाराएं होने पर भी आईएएस नीरज के पवन व अनिल अग्रवाल को गिरफ्तार नहीं किया गया था। इसे लेकर एसीबी की भूमिका संदेह के दायरे में आने लगी थी।
एसीबी डीजी दिनेश एम एन ने बताया था कि इस मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं । कार्रवाई के दौरान नीरज के घर पर लाखों की विदेशी शराब भी बरामद हुई है। इसका अलग से प्रकरण दर्ज किया गया है। इसके अलावा बड़ी मात्रा में गहने व यूएस डॉलर मिलने की भी जानकारी मिली है। इसमें एसीबी अजित सोनी के पास मिले रिश्वत के लेनदेन के हार्ड कॉपी को पुख्ता सबूत मान रही है। अभी औ जांन चल रही है।
-अक्टूबर में की थी परिवादी ने शिकायत
इस प्रकरण में 28 अक्टूबर 2015 को इस संदर्भ में शिकायत की थी कि टेंडर प्रक्रिया में काफी गड़बड़ी होती है। अजीत कुमार सोनी दलाल सिंगल विंडो की तरह ऑपरेट करता है। जो उससे माल लेगा उसी से पार्टीसिपेंट करवाया जाता था। परिवादी ने इस संदर्भ में कुछ रिकॉर्डिंग्स भी दी, जिनके सत्यापन के बाद एसीबी इस मामले में आगे बढ़ी। बाद में एफाआईआर दर्ज की गई।
परिवादी ने बताया कि उसने एक टेंडर के लिए चेक के माध्यम से भी रिश्वत दी। 14 जनवरी को 5 लाख रुपए, 15 जनवरी को पांच लाख व 4.71 लाख रुपए, 21 जनवरी को 5 लाख रुपए, 25 जनवरी को 2.51 लाख रुपयों का आदान प्रदान हुआ था।
-दो आईएएस पहले ही गिरफ्तार
एसीबी ने अनियमितताओं के प्रकरण में राजस्थान के दो आईएएस को पहले ही गिरफ्तार किया है। इसमें खान घोटाले में आईएएस अशोक सिंघवी से साथ सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं एकल पटï्टा प्रकरण में रिटायर होने के बाद आईएएस जीएस संधु को गिरफ्तार किया गया है।
जीएस संधु लम्बे समय से फरार चल रहे थे। लेकिन कहीं जमानत नहीं मिल पाने से उन्होंने इसी महीने सरेंडर किया था। इस मामले में स्वायत्त शासन के पूर्व मंत्री शांति धारीवाल की भूमिका की भी जांच की जा रही है।