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15 वर्षों के बाद बदला-बदला दिखा असम विधानसभा का नजारा - Sabguru News
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15 वर्षों के बाद बदला-बदला दिखा असम विधानसभा का नजारा

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15 वर्षों के बाद बदला-बदला दिखा असम विधानसभा  का नजारा
first session of newly elected Assam Assembly three day session begins
first session of newly elected Assam Assembly three day session begins
first session of newly elected Assam Assembly three day session begins

गुवाहाटी। 14वीं असम विधानसभा के पहले सत्र का आज बुधवार को शुभारंभ हुआ। सदन का स्वरूप 15 वर्ष के बाद पहली बार आज बुधवार को बदला-बदला दिखा। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भाजपा नेता व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल बैठे दिखे।

बीते 15 वर्षों से कांग्रेसी नेता तरुण गोगोई बैठते आए थे, लेकिन आज वे उस स्थान पर बैठे दिखे जहां पर 13वीं असम विधानसभा में एआईयूडीएफ के नेता बैठते थे। सत्ता पक्ष वाले आसन पर भाजपा व गठबंधन पार्टी अगप व बीपीएफ के विधायकों का कब्जा हो गया है।

मीडिया को भी आज का नजारा कुछ अजीब दिखाई दिया। स्वाभाविक भी है। एक लंबे समय से एक ही चेहरे को देखते आ रहे थे। लेकिन 14 वीं विधानसभा की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई। पहले जो विस में अंतिम कतार में थे वे मुख्य स्थान पर बैठे थे।

जो दूसरी कतार में बैठते थे वे तीसरी कतार में पहुंच गए हैं और जो मुख्य कतार में बैठते थे वे दूसरी कतार में आसन जमा लिए। अगले पांच वर्षों तक सदन में यही स्थिति रहने वाली है।

उल्लेखनीय है कि 14वीं असम विधानसभा के लिए 4 और 11 अप्रेल को दो चरणों में चुनाव हुए। जिसमें अभूतपूर्व सफलता हासिल करते हुए भाजपा ने बहुमत के आंकड़े से महज 4 अंक कम हासिल करते हुए सत्ता की चौखट पर पहुंच गई।

वहीं बीते 15 वर्षों से सत्ता को अपनी जागीर समझ बैठी कांग्रेस चारोखाने चित्त हो गई। उसके खाते में महज 26 सीटें आईं। भाजपा ने इस बार के चुनाव में कांग्रेस मुक्त असम का नारा देते हुए क्षेत्रीय पार्टी असम गण परिषद और बोड़ोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी।

गठबंधन का तीनों पार्टियों को फायदा मिला। 126 सदस्यीय असम विधानसभा में भाजपा 5 से 60 तक पहुंच गई तो अगप 9 से 14 और बीपीएफ भी बोड़ोलैंड की 13 सीटों में से 12 पर जीत हासिल कर सबको चौंका दिया।

राजनीतिक पंडितों ने भविष्यवाणी की थी कि भाजपा गठबंधन की सीटों की संख्या में इजाफा होगा, लेकिन बहुमत का आंकड़ा पाने में कुछ कमी रह सकती है। वहीं कांग्रेस की इतनी बड़ी पराजय की किसी ने भी घोषणा नहीं की थी। जबकि एआईयूडीएफ के सीटों की संख्या अनुमान के आसपास ही आईं।