अजमेर। अजमेर शहर से सटा गांव लोहागल। इसी गांव के आस पास परिधि में बसी स्मार्ट बनने जा रहे अजमेर शहर की आबादी। लोहागल गांव को शहर के बीच होने का गौरव मिला हुआ है। जनाना असपताल जाने का मार्ग इसी गांव से होकर गुजरता है।
शहर का अभिन्न बन चुके इस गांव में समस्याओं का में ग्रामीणों का जीना दुश्वार है। हमारे संवाददाता ने इस गांव का दौरा किया। कानों सुनी गलत हो सकती है लेकिन आंखों देखी को कौन झुठला सकता है। मानना ही पडेगा कि गांव पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा तक को तरस रहा है। कहने को तो गांव में पानी की टंकी और टांका बना दिया गया। घरों में नल भी लग गए। लेकिन बूंद भर पानी आने की आस में ग्रामीणों का इंतजार खत्म नहीं हुआ।
गांव में पनघट योजना के तहत पानी की लाइन आई लेकिन उसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा। हर गली के बाहर दो तीन सरकारी नल लगे नजर आते हैं लेकिन पानी का प्रेशर नहीं होने से इनका लगना न लगना बेकार है। उस पर दो या तीन दिन का अंतराल कोढ में खाज का आलम बना देता है।
सरकारी नलों के आगे बर्तनों की कभी न खत्म होने वाली कतार का नजारा इस गांव में देखने को मिलता है। पेयजल के वैकल्पिक स्रोत हैंडपंप जो कभी सहारा हुआ करते थे वह भी दम तोड चुके हैं। गांव के परंपरागत कुओं में पानी रीत चुका है।
इंसानों के लिए पानी नहीं मिल रहा तो पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था कैसे हो, इसी के चलते ग्रामीणों ने पशुधन से किनारा कर लिया। बमुश्किल दो चार घरों में पशु देखने को मिलते हैं।
पहाडी क्षेत्र होने के कारण उबड खाबड रास्ते और कच्ची गलियां गांव में विकास के खोखले दावों की पोल खोलते नजर आते हैं। अपवाद के नाम पर गांव के सरपंच के घर तक एक सडक जरूर बनी लेकिन बाकी गांव बदहाल है। शहर से सटा होने के कारण इस गांव की आबादी बाहर से आकर रहने वाले लोगों के कारण और बढ गई है पर तुलना में मूलभूत सुविधाएं नहीं बढी।