लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डा. मोहन राव भागवत ने बुधवार को राजधानी में कहा कि राम मंदिर के मुद्दे पर हम आन्दोलन से भी पीछे नहीं हटेंगे।
उन्होंने कहा कि इस विषय पर संत समाज जो भी निर्णय लेगा उसको 100 प्रतिशत यशस्वी बनाने की जिम्मेदारी हमारी है। इसलिए अगर संत समाज आन्दोलन भी करता है तो संघ साथ देगा।
सरसंघचालक बुधवार को निरालानगर स्थित सरस्वती कुंज माधव सभागार में संघ शिक्षा वर्ग द्वितीय वर्ष के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।
मोहन भागवत ने कहा श्रीराम जन्मभूमि निर्माण के संबंध में संत उच्चाधिकार समिति जिसमें महन्त नृत्यगोपाल दास महाराज व स्वामी परमानन्द जी महराज हैं जो निर्णय लेगी उसको संघ का सक्रिय सहयोग रहेगा।
उन्होंने कहा कि आज का युवा देशभक्ति व सेवा करना चाहता है। देश व राष्ट्र के सवाल पर युवा तुरन्त आगे आते हैं। स्वातन्त्रय काल के समय देश के लिए कुछ कर गुजरने की जो इच्छाशक्ति युवाओं में थी। आज उसी प्रकार का वातावरण देश में देखने को मिल रहा है।
धर्म के नाम पर बहुत अधर्म हुआ
डा. मोहन भागवत ने कहा कि हमारे देश में धर्म के नाम पर बहुत अधर्म हुआ। धर्म दकियानूसी विचार नहीं है। आज धर्म चूल्हे चौके और पूजा घरों तक सिमट कर रह गया है। जबकि धर्म के मूल्य होते हैं। उन्होंने कहा कि सत्य, करूणा, शुचिता और योजकता ये धर्म के चार पैर हैं।
गणवेश परिवर्तन के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक अपने व्यवहार और आचरण से पहचाना जाता है। नेकर हमारी पहचान नहीं है। इसके पहले भी कई बार वेश परिवर्तन हो चुका है।
सरसंघचालक ने कहा कि संघ समाज का संगठन है। इसलिए संघ को समाज में अलग से कुछ नहीं करना है। जैसे सभ्यता बदलती है लेकिन हमारी संस्कृति कभी नहीं बदलती।
संस्कृति से जोड़ने वाली होनी चाहिए शिक्षा
देश की शिक्षा प्रणाली पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्कृति से जोड़ने वाली होनी चाहिए। फिलहाल उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयत्नों की सराहना भी की। संघ सदैव हिन्दू समाज के हित में बोलता है। इससे किसका फायदा नुकसान होगा इसकी परवाह संघ नहीं करता। संघ की आलोचना कोई नयी बात नहीं है।