नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के गैरकानूनी कब्जे वाले बड़े भू-भाग में चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) नहीं बनाया जा सकता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने गुरुवार को पत्रकारों को कहा कि जम्मू-कश्मीर के गैरकानूनी कब्जे वाले हिस्से में पाकिस्तान कॉरिडोर नहीं बना सकता है।
विकास स्वरूप ने कहा कि पाकिस्तान के जिस भाग में चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है, वह भारत का अभिन्न हिस्सा है, ये नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता के खिलाफ निहित स्वार्थों द्वारा किसी भी संगठन या संस्थान को अस्वीकार करता हैं।
पाकिस्तान को चाहिए कि वह सबसे पहले कश्मीर के कुछ हिस्सों पर अवैध कब्जे को खाली करे और लोगों की समस्या पर ध्यान केंद्रित करे।
कश्मीर दोनों मुल्कों के बीच परेशानी का मुख्य कारण नहीं है। तनाव का मुख्य कारण शांति की कमी और अस्थिरता बनाने के लिए लगातार बाह्य रूप से प्रायोजित आतंकवाद है। इसके साथ ही भारत के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान का हस्तक्षेप भी तनाव का बड़ा कारण है।
इससे पहले भारत की ओर से कहा गया था कि पाकिस्तान डब्लूटीओ की नीतियों के खिलाफ जा कर भारत के साथ द्विपक्षीय कारोबार की राह में अड़चन पैदा कर रहा है।
भारत ने पाकिस्तान की तरफ से प्रमुख वरीयता प्राप्त राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा नहीं मिलने का भी मुद्दा उठाया है। इस आधार पर भारत का मानना है कि पाकिस्तान को डब्लूटीओ की मदद लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
इसके साथ ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि जून महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफगानिस्तान की यात्रा करेंगे। वह वहां इंडो-अफगान फ्रेंडशिप डैम’ का उद्घाटन करेंगे।
एक अन्य मसले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी और पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी के प्रत्यर्पण को लेकर सवालों का जवाब देते हुए विकास स्वरूप ने कहा कि कानूनी विशेषज्ञों द्वारा अनुरोध की जांच कर ली गई है और सुझावों को प्रवर्तन निदेशालय के पास भेज दिया है।