झुंझुनू। झुंझुनू में दो दिन के दशहत के बाद आखिरकार रविवार देर शाम को पैंथर पकड़ा गया और पिंजरे में बंद हो गया। शनिवार सुबह आठ बजे पहली बार पैंथर तब सामने आया, जब उसने इंडाली के पास एक खेत में युवक को घायल किया।
इसके बाद बीती रात तक पैंथर इंडाली में था। लेकिन रात को जब अलवर से आई टीम ने रेस्क्यू किया और पैंथर का काबू करने की कोशिश की तो वह अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गया।
रविवार सुबह जब दुबारा रेस्क्यू शुरू किया तो सबसे पहले पैंथर के पदचिह्न चिचड़ौली में देखा गया। इसके पीछे पीछे जब टीम पहुंची तो आखिर पदचिह्न केहरपुरा में दिखे और एक खेत में खड़ी फसल में छुपने की संभावना जताई गई।
इस्लामपुर और केहरपुरा गांव की सीमा पर स्थित इस खेत में रेस्क्यू चालू हुआ तो संभावना हकीकत में बदली और फसल से निकलकर एक बार फिर पैंथर ने हमला किया और एक युवक को घायल कर दिया। यही नहीं पुलिस की गाड़ी को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
जयपुर से आए सीनियर चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर ने अलवर की टीम के साथ पैंथर को काबू किया और उसे झुंझुनू की बीहड़ स्थित चैक पोस्ट पर ले आए। जहां पर उसे सामान्य किया जा रहा है।
संभावना है कि देर रात तक या फिर सोमवार को इसे अलवर या फिर जयपुर ले जाया जाएगा।डॉ. अरविंद माथुर ने बताया कि यह पैंथर करीब तीन साल का है और स्वस्थ है। दो दिन के घटनाक्रम से पैंथर खुद डरा हुआ है और अपने आपको बचाव के चक्कर में उसने हमले किए हैं।
माथुर का 30वां रेस्क्यू भी रहा सफल
जयपुर जू के वेटनरी हैड डॉ.अरविंद माथुर का यह 30वां पैंथर रेस्क्यू था और वो भी सफल रहा।डॉ. माथुर की मानें तो उन्होंने आठसाल में अब तक 30 पैंथर पकड़े हैं। उन्होंने बताया कि एक 20 दिन का पैंथर भी उन्होंने पकड़ा था। जो अब तीन-चार माह का हो गया है। जो उनके साथ एक परिवार के सदस्य की तरह रहता है। शनिवार को नाहरगढ़ में बायोलोजिकल पार्कका लोकार्पण करने आई सीएम वसुंधरा राजे को भी यह पैंथर एक हाथों में लेकर दिखाया था।