नई दिल्ली। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में बरी करने के खिलाफ कर्नाटक सरकार और अन्य की अर्जी पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई पूरी कर ली है पर निर्णय सुरक्षित रखा है। इसके साथ हीए न्यायमूर्ति पीसी घोष और अमिताभ रॉय की बेंच ने कर्नाटक सरकार और अन्य प्रतिवादियों से कहा है कि पूरे मामले को 10 जून तक लिखित पेश किया जाए।
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा था कि संपत्ति अर्जित करना गलत नहीं है। अगर आप सही तरीके से प्रॉपर्टी बनाते हैं तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है। अगर किसी ने एक लाख रुपये का लोन लिया और अपने पास बचे पैसे को मिला कर दो लाख की कोई प्रॉपर्टी खरीद ली तो उसमें गलत क्या है।
इस मामले में अन्नाद्रमुक प्रमुख जया पर 1991 से 1996 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करने और आय से अधिक लगभग 67 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। स्पेशल कोर्ट ने जया और तीन अन्य को चार साल की सजा और 100 करोड़ का जुर्माना लगाया था।जयललिता को इस मामले में सितंबर 2014 में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थीए लेकिन पिछले साल मई मे कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कर्नाटक उच्च न्यायालय के जयललिता को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता के अनुसार कर्नाटक उच्च न्यायालय का आदेश सिर्फ तमाशा और गैरकानूनी है। जया को बरी करने से कानून की हार हुई है इसलिए उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई जाए और उनकी सदस्यता को रद्द रखा जाए।