नई दिल्ली। शराब व्यवसायी पोंटी चड्ढा शूटआउट मामले में बुधवार को उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन सुखदेव सिंह नामधारी को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत अर्जी खारिज खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट की ग्रीष्मावकाश पीठ के जस्टिस पिनाकी चन्द्र घोस और जस्टिस अमिताव रॉय की पीठ ने अंतरिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि उन्हें समय-समय पर अंतरिम जमानत क्यों दी गई? पहले जमानत दी गई, फिर उसकी अवधि बढाई गई और अंत में हाई कोर्ट द्वारा ख़ारिज कर दी गई।
उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका रद्द करने के आदेश में दखल देने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि जब आप जमानत के लिए उच्च न्यायालय जाते हैं, तो निचली अदालत आपको अंतरिम जमानत दे देती है।
शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा और उनके भाई हरदीप चड्ढा को नवंबर, 2012 में छतरपुर में गोलियां बरसाकर मौत के घाट उतार दिया गया था। इस हत्याकांड में नामधारी सह अभियुक्त हैं। हत्या का कारण पोंटी चड्ढा और उनके भाई हरदीप चड्ढा के बीच प्रॉपर्टी को लेकर चल रहा विवाद बताया गया था।
नामधारी उन दिनों उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन थे लेकिन इस हत्याकांड के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था। न्यायालय ने नामधारी के वकील से पूछा कि क्या आपके पक्ष में या खिलाफ कुछ कहना बाकी रह गया है?
इस पर उन्होंने कहा कि मैं केवल अंतरिम जमानत मांग रहा हूं। नामधारी के वकील ने जब न्यायालय से अंतरिम जमानत के लिए लगातार अनुरोध किया तो न्यायाधीश रॉय ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि क्या हम एक ऐसे तंत्र में रहते हैं, जहां कानून का शासन है?