विएना। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के भारत के दावे को लेकर उसके पक्ष में ज्यादातर देश नजर आ रहे हैं। इस बात की जानकारी 48 सदस्यीय एनएसजी की ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में हो रही बैठक से निकलकर आई है। जबकि चीन इसे लेकर अपना विरोध जता रहा है।
बताया जाता है कि अमरीकी समर्थन मिलने के कारण दुनिया के ज्यादातर देश भारत के पक्ष में खड़े हो गए हैं, वहीं कई देशों का यह भी मानना है कि भारत का अब तक रिकार्ड बहुत साफ-सुथरा रहा है, इसलिए भी हम भारत के पक्ष में हैं।
इन देशों को लगता है कि भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य जरूर बनना चाहिए। इस बात को लेकर अमरीका की ओर से सदस्य देशों के लिए एक पत्र भी जारी किया गया है।
अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने एक पत्र लिखकर एनएसजी के सदस्य देशों से अपील की है कि इस महीने के अंत में जब सोल में एनएसजी की बैठक हो तो उसमें भारत को शामिल करने पर आम राय बन जानी चाहिए, यही सही होगा।
इस बीच जानकारी यह भी मिली है कि चीन उन सभी देशों का यहां प्रतिनिधित्व कर रहा है जो नहीं चाहते कि भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनाया जाए, इन देशों में प्रमुख रूप से पाकिस्तान, तुर्की, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं।
यहां चीन बार-बार इस बात को दोहरा रहा है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में सिर्फ परमाणु अप्रसार संधि(एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने वाले देशों को ही सदस्यता दी जानी चाहिए। यदि इसके बाद भी भारत के प्रति किसी प्रकार की रियायत बरती जा रही है तो पाकिस्तान को भी इसमें सम्मलित किया जाना चाहिए।