चंडीगढ। राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रहे आरके आनंद ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर सीबीआई के डर से जानबूझकर एक षड्यंत्र रचकर उन्हें हरवाने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है।
आनंद ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि इनेलो के 18 वोट उन्हें पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ हासिल हुए। इसके अलावा कांग्रेस विधायकों के 3 वोटों सहित उन्हें कुल 21 वैध वोट मिले हैं।
आरके आनंद ने कहा कि रणदीप सुरजेवाला का वोट डालने से पहले चुनाव एजेंट के बिना अन्य को दिखाकर सार्वजनिक करने पर रद्द हो गया और भूपेंद्र हुड्डा व उनके साथियों के अलग स्याही वाले दूसरे पैन का इस्तेमाल होने पर वोट रद्द हो गए।
उन्होंने कहा कि ऐसा करके न सिर्फ भूपेंद्र हुड्डा व उनके साथियों ने उनके साथ धोखा किया बल्कि कांग्रेस आलाकमान, कांग्रेस अध्यक्षा व उपाध्यक्ष को भी धोखा देने का काम किया है और यह सब पूरी तरह से एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हुड्डा द्वारा किया गया।
आनंद ने कहा कि भूपेंंद्र हुड्डा व सुभाष चंद्रा सनसिटी जैसे कई परियोजनाओं में बेनामी हिस्सेदार भी हैं और वे ये स्पष्ष्ट करना चाहते हैं कि मन में खोट हुड्डा व उनके साथियों में ही था और यह पूरी तरह से साबित भी हो गया है।
आरके आनंद ने कहा कि पहले तो भूपेंद्र हुड्डा व उनके साथी राज्यसभा चुनाव में मतदान से गैर हाजिर होना चाहते थे ताकि भाजपा को दोनों प्रत्याशी जिताने में मदद की जा सके लेकिन कांग्रेस अध्यक्षा व पार्टी आलाकमान द्वारा मेरे पक्ष में वोट डालने के फरमान के बाद सीबीआई के दबाव और सरकार के डर में आकर उन्होंने यह खेल खेला और सुभाष चंद्रा के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने के लिए कर्ण सिंह दलाल को जिम्मेदारी सौंपी गई।
उन्होंने कहा कि इस दौरान करण सिंह दलाल और सुभाष चंद्रा के बीच दर्जनों बार फोन कॉल हुए हैं और दलाल निरंतर सुभाष चंदा के साथ-साथ आला भाजपा नेताओं के साथ भी संपर्क में थे। उन्होंने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा ने तो अपने एक साथी जयप्रकाश को पहले ही सीधे-सीधे सुभाष चंद्रा के साथ लगा दिया था।
उन्होंने कहा कि हुड्डा व उनके साथियों की नियत साफ नहीं थी। उन्होंने कहा कि अलग पैन का इस्तेमाल कर वोट रद्द करवाने के लिए बाकायदा सुभाष चंद्रा को सूचित किया गया और उसी के ऐतराज उठाए जाने के बाद पहले छह वोट रद्द हुए और सुभाष चंद्रा ने फिर यही ऐतराज उठाया कि कुछ और वोट भी अलग पैन के होने चाहिए।
इस तरह 13 वोट एक खाली मतपत्र और बारह अलग पैन से पाए जाने पर रद्द हो गए जबकि सुरजेवाला का वोट सार्वजनिक किए जाने के कारण पहले ही रद्द कर दिया गया था।
आरके आनंद ने हुड्डा व उनके साथियों की इन दलीलों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि इनेलो के सभी 18 वोट उन्हें मिले हैं और इनेलो वालों तो उनकी जीत की उम्मीद में मतगणना के आखिर तक भी पूरी तरह से वहां उनके साथ डटे हुए थे।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कांग्रेस आलाकमान को इस पूरे षड्यंत्र के बारे में अवगत करवा दिया है और जरूरत पडऩे पर वे इसके सबूत भी मुहैया करवा देंगे। आनंद ने कहा कि रद्द हुए सभी 13 वोट अलग स्याही वाले एकसाथ इकट्ठे पड़े मिले और ये वही वोट थे जो हुड्डा और उनके साथी डालकर गए थे।
उन्होंने कहा कि अगर हुड्डा व उनके साथियों की नीयत ठीक होती तो वे वोट पडऩे से पहले और बाद में न सिर्फ उनके साथ रुकते बल्कि उन्हें इस तरह से मुंह छुपाकर भागने की जरूरत न पड़ती।
इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के वोटों की गिनती से पहले ही निर्दलीय विधायक जयप्रकाश ने पत्रकारों के समक्ष यह बता दिया था कि कांग्रेस के एक दर्जन से ज्यादा वोट रद्द होंगे क्योंकि उन्होंने दूसरे पैन का इस्तेमाल किया।
इनेलो नेता ने कहा कि उनकी पार्टी के पास अकेले बहुमत नहीं था जिससे वे किसी राज्यसभा प्रत्याशी को जिता पाते लेकिन हमने निर्दलीय प्रत्याशी आरके आनंद को न सिर्फ समर्थन किया बल्कि 18 वोट दिलवाने का काम किया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दो विधायक रणदीप सुरजेवाला व किरण चौधरी पहले आए। हुड्डा समर्थक विधायक एमएलए होस्टल में आकर रुके और आखिर में आकर वोट गलत पैन से डालकर रद्द करवाए और भाजपा प्रत्याशी जितवाने में मदद की।