इलाहाबाद। इलाहाबाद से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता और सांसद डॉ. मुरली मनोहर जोशी को यहाँ कार्यकारिणी की बैठक से सम्बंधित पोस्टरों और मंच पर भले ही उचित जगह न मिली हो लेकिन बैठक के बीच में हुए ब्रेक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और डॉ. जोशी जिस तरह से एक ही प्लेट में फ्रूट चाट खाते दिखाई दिए, भाजपाई क्षेत्रों में इसके मतलब तलाशे जा रहे हैं।
दरअसल 1992 में जब डॉ जोशी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा निकाली थी तो नरेंद्र मोदी उनके सारथी के तौर पर यात्रा में रहे थे। उस दौरान जब यात्रा इलाहाबाद पहुँची तो शाम को हुई सभा में नरेंद्र मोदी ने अत्यन्त ओजस्वी भाषण किया था।
बताते हैं वह पहला मौका था जब प्रयाग की धरती पर जोशी और मोदी एकसाथ दिखे थे। अब राष्ट्रीय कार्यकारिणी दूसरा ऐसा मौका है जब ये दोनों नेता एक साथ एक ही कार्यक्रम में प्रयाग आये हैं।
इन दिनों भाजपा में डॉ जोशी की उपेक्षा के क़िस्से भी खूब चल रहे हैं। डॉ. जोशी के समर्थकों ने तो इस आशय का होर्डिंग भी लगा दिया कि उन्हें भाजपा में सम्मान दिया जाना चाहिए।
रविवार को कार्यकारिणी की बैठक में डॉ. जोशी को मंच पर जगह नहीं मिली और सामने भी उन्हें तीसरी पंक्ति में बैठाया गया। पार्टी में डॉ. जोशी की उपेक्षा की चर्चा यहाँ के मीडिया में सुर्खी बनी। लेकिन इस उठापठक और किस्से-कहानी का दूसरा पहलू भी है जिसके हर कोई अपने अपने तरीके से मायने तलाश रहा है।
यहां कार्यकारिणी की बैठक में ब्रेक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और डॉ. जोशी में एकता यात्रा के दिनों जैसी पुरानी गर्मजोशी दिखाई दी। जब डॉ. जोशी और प्रधानमंत्री मोदी एक ही प्लेट से फ़्रूट चाट खाते दिखाई दिए। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बिहार चुनाव के बाद मार्गदर्शक मंडल के सदस्यों ने पार्टी आलाकमान को बड़ी खरी खोटी सुनाई थी।
लेकिन हाल के चुनावों में जब असम में पार्टी की शानदार जीत हुई तो प्रधानमंत्री मोदी और भाजपाध्यक्ष अमित शाह को सबसे पहले बधाई देने वालों में डॉ. जोशी थे। भाजपाई भी डॉ. जोशी और प्रधानमंत्री मोदी के इस तरह के ‘मिलन’ के मायने तलाश रहे हैं।