मुंबई। सेंसर बोर्ड से मतभेद के बाद विवादों में घिरी अनुराग कश्यप की फिल्म उड़ता पंजाब के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा है कि फिल्म में ड्रग्स की लत को हाईलाइट किया गया है।
साथ ही सेंसर बोर्ड पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि फिल्म से सीन हटाने के पीछे बोर्ड का मकसद फिल्म मेकिंग पर पाबंदी लगाना नहीं है, उसका उद्देश्य समाज को ध्यान में रखकर फैसला लेना है। कोर्ट ने आगे कहा है कि फिल्म की स्क्रिप्ट और नाम में ऐसा कुछ भी नहीं है कि देश की एकता या संप्रभुता को चोट पहुंचे।
गौरतलब है कि फिल्म उड़ता पंजाब को लेकर सेंसर बोर्ड और फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप के बीच विवाद चल रहा था, जिसका पटाक्षेप करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है।
कोर्ट ने सुनवाई पश्चात कहा है कि फिल्म में ड्रग्स की लत को हाईलाइट किया गया है, जितनी आसानी से ड्रग उपलब्ध है और इसे रोकने के लिए तैनात किए गए लोग अपना काम सही से नहीं कर पा रहे हैं, वह चिंता का विषय है।
फिल्म के सभी किरदार इस समस्या को बखूबी पेश करते हैं। कोर्ट ने कहा कि फिल्म से सीन हटाने के पीछे बोर्ड का मकसद फिल्म मेकिंग पर पाबंदी लगाना नहीं है, उसका उद्देश्य समाज को ध्यान में रखकर फैसला लेना है। बोर्ड को यह आश्वस्त करना होगा कि ड्रग को ग्लैमर में तब्दील करने वाले दृश्य न दिखाए जाएं।
संवेदनशील मुद्दों को भडक़ाया न गया हो और डुअल मीनिंग बातें को बढ़ावा न दिया गया हो। कोर्ट ने कहा कि याचिकर्ताओं ने ड्रग का मुद्दा चुना है और पंजाब में यह समस्या ज्यादा है, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। यूथ को ध्यान में रखकर रॉकस्टार का कैरेक्टर चुना गया है।
अगर फिल्म निर्माता किसी समस्या को उठाना चाहते हैं तो उस पर दखल देने का अधिकार किसी को नहीं है, जब तक कि रचनात्मकता की आजादी का दुरुपयोग नहीं होता। हालांकि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हिदायत देते हुए कहा था कि फिल्म देखने वालों की अपनी समझ होती है, दर्शकों के विवेक पर भरोसा रखें और इसे लोगों पर छोड़ दें।
सेंसर शब्द मीडिया का बनाया हुआ है, आपका काम फिल्मों को सर्टिफिकेट देना है। अभिषेक चौबे के निर्देशन में बनी फिल्म उड़ता पंजाब में शाहिद कपूर, आलिया भट्ट, करीना कपूर और दिलजीत दोसांज मुख्य किरदारों में हैं। पंजाब में युवाओं के बीच बढ़ रहे ड्रग्स के चलन की समस्या पर बनी ये फिल्म 17 जून को रिलीज होनी है।