झुंझुनूं। झुंझुनूं की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। नौसिखिये चिकित्सक सरकारी अस्पताल की आड़ में घरो में ईलाज के नाम पर जमकर चांदी कूट रहे है वहीं ईलाज में लापरवाही के मामले लगातार प्रकाश में आ रहे है।
शहर का एक बहुचर्चित सरकारी चिकित्सक संजय धनखड़ एक बार फिर ईलाज के नाम पर लापरवाही बरतने के मामले में फंसते नजर आ रहे है। ईलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई। मौत होने के बाद चिकित्सक ने बेशर्मी बयान दे दिया कि उसे पैसे नही मिले जिसके चलते मरीज मर गया मैं क्या करू ?
प्राप्त खबरो के अनुसार शहर के वार्ड संख्या 22 निवासी युसूफ गहलोत को राजकीय खेतान अस्पताल में तैनात डॉक्टर संजय धनखड़ को दिखाया गया। डॉ. ने मरीज के परिजनो को कहा कि मरीज को घर पर ले चलो जहां मरीज के ऑपरेशन का अच्छा इंतजाम कर रखा है।
सरकारी अस्पताल में कोई सार संभाल नही होगी। यह कहकर मरीज को 13 जून को मकान नम्बर 2/6 हाउसिंग बोर्ड में ले गये जहां चिकित्सक डॉ. संजय धनखड़ को 10 हजार रूपये दिए गए फिर सायं को साढ़े सात बजे चिकित्सक ने युसूफ का पाईल्स का ऑपरेशन किया।
ऑपरेशन के बाद परिजनों का आरोप है कि चिकित्सक ने गलत इंजेक्शन दे दिया जिससे युसूफ कौमा में चला गया और 15 जून की प्रात: 11 बजे उसकी मौत हो गई। गौरतबल है कि मृतक यूसुफ गधा रेहड़ी चलाकर अपना पेट भरता था।
डॉ. ने मामला दबाने के लिये परिजनो को कहा कि मरीज की हालत चिंताजनक है उसे सरकारी अस्पताल में ले चलो जहां सारी सुविधाएं है लेकिन परिजन को शक हो गया कि युसूफ की मृत्यु हो चुकी है। मृत्यु की खबर सुनते ही चिकित्सक के घर शहर के लोगो की भीड़ इक्कठी हो गई और न्याय की मांग करने लगे।
ज्ञात रहे कि डॉ. धनखड़ पर पहले भी लापरवाही के दौरान मरीजों की मौत होने के आरोप लगते रहे है और मरीज मौत के मुंह में समा चुके है किन्तु रसूख के चलते डॉ. के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही आज तक नही हुई। मृतक के पुत्र तय्यूब ने कोतवाली में प्रार्थना पत्र देकर डॉ. और उसके सहयोगी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है।
आमजन के आक्रोश को देखते हुए पुलिस ने डॉ. संजय धनखड़ व सहयोगी को कोतवाली थाने ले गये। डॉ. के क्लिीनिक को सीज कर दिया गया। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराने के लिये परिजन भी सहमत हो गये। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
डॉ. संजय की कार्यशैली पर उठते सवाल
सरकारी सेवा में तैनात राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल में कार्यरत डॉ. संजय धनखड़ द्वारा आवासीय हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में खोले गये अस्पताल का रजिस्ट्रेशन है अथवा नही, कितने कर्मचारी डॉक्टर, नर्स कार्यरत है उनका लेखा जोखा, कितना उठता है वेतन, रूई पट्टी, गंदगी, कचरा कहा बिल्ले लगा रहा है डॉक्टर, ऑपरेशन के दौरान बेहोशी का इंजेंक्शन कौन डॉ. लगाता है, डॉ. संजय सरकारी अस्पताल में ड्यूटी करने जाने के बाद पिछे से मरीजो को अस्पताल में कौन-कौन डॉ. संभालते है ऐसे दर्जनों सवाल है जो चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं।
वहीं डॉ. धनखड़ की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे है। इस अस्पताल में आये दिन मरीज दम तोड़ते है तथा बवाल मचता रहता है। चिकित्सा विभाग ऐसे चिकित्सक के खिलाफ सख्त कदम उठाने से क्यों कतरा रहा है यह भी आमजन में एक चर्चा का विषय बना हुआ है।
हो जाती कार्रवाई, तो नहीं होती मौत!
जिला परिषद सदस्य दिनेश सुंडा ने डॉ.संजय धनखड़ के निजी अस्पताल में हुई मौत के मामले में कहा है कि उन्होंने हाल ही में जिला परिषद की बैठक में ऐसा मुद्दा उठाया था। सुंडा ने बताया कि बैठक में उन्होंने जिले में चल रहे निजी अस्पताल और निजी अस्पतालों में बिना कोई संसाधनों के हो रहे ऑपरेशनों को लेकर सवाल उठाया था और ऐसे अस्पतालों की जांच उठाई थी।
उन्होंने बैठक में कहा था कि ना केवल यहां पर लोगों की जेब काटी जाती है।बल्कि मौतें भी हो रही है।लेकिन बैठकों में उठाए सवाल पर विभाग कितना गौर करता है। यह इस घटना से तय हो गया है।करीब एक पखवाड़े के बाद भी विभाग ने कदम नहीं उठाया और जो संभावना जताई गई वो सामने आ गई। अब सुंडा ने एक बार फिर विभाग से मांग की है कि ऐसे अस्पतालों का रजिस्टे्रशन कर उनके संसाधनों की जांच हो।ताकि बीमार लोगों को राहत मिल सके, मौत नहीं।