चडीगढ। चंद दिनों पहले बनाए गए पंजाब कांग्रेस प्रभारी कमलनाथ ने बुधवार को देर रात अपना पद छोड़ दिया। उनकी नियुक्ति के बाद से ही लगातार उठ रहे विवाद और विपक्षी दलों के हमले के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पद छोड़ने की पेशकश की।
उधर, पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि कमलनाथ के आग्रह को स्वीकार करते हुए सोनिया गांधी ने उन्हें पंजाब प्रभारी के पद से मुक्त कर दिया। सोनिया गांधी के कमलनाथ की पेशकश स्वीकार करने के बाद पंजाब प्रदेश कांग्रेस ने भी राहत की सांस ली है।
सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कमलनाथ ने कहा है कि कांग्रेस ने उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी है, उन्होंने हमेशा उसे निभाया है। लेकिन पंजाब प्रभारी के पद पर नियुक्ति के बाद पिछले कुछ दिनों से उन्हें 1984 के दंगों का आरोपी ठहराकर बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है, जबकि 2005 तक उनके खिलाफ कभी भी कोई सार्वजनिक बयान, शिकायत या एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
1984 दंगों के 21 साल बाद पहली बार उनका नाम किसी फोरम में शामिल किया गया। एनडीए सरकार की ओर से स्थापित नानावती आयोग ने पूरी तरह जांच करने के बाद उन्हें इस केस से बरी कर दिया था।
संसद में भी नानावती आयोग की रिपोर्ट पर बहस के दौरान तत्कालीन सांसद सुखबीर बादल सहित किसी भी अन्य अकाली या भाजपा सांसद ने उनका नाम नहीं उठाया, लेकिन अब कुछ राजनीतिक दल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए इस तरह के गलत आरोप लगा रहे हैं।
कमलनाथ ने पत्र में लिखा कि यूथ कांग्रेस से अपना राजनीतिक कैरियर शुरू करने के बाद वह पार्टी के महासचिव पद तक पहुंचे। वह मंत्री पद पर भी रहे, लेकिन उनके नाम के साथ कभी कोई विवाद नहीं जुड़ा। लेकिन कुछ लोग सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इस मुद्दे को उछाल रहे हैं।
विवादों के बावजूद पंजाब के पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने जिस तरह से उनका समर्थन किया, उससे वह भावुक हैं। उन्होंने लिखा कि वह नेहरूवाद राजनीति के आदी रहे हैं और जिस तरह से उन पर विवाद लगे, वह सही नहीं है।
वह चाहते हैं कि पंजाब के आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी लोगों, किसानों, युवाओं, कानून व्यवस्था, ड्रग्स जैसे मुद्दों को उठाकर चुनाव लड़े। इसलिए उन्हें इस पद से मुक्त किया जाए, ताकि पार्टी ज्वलंत मुद्दों से न भटक जाए।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ पर दिल्ली में हुए सिख दंगों के दौरान हुड़दंग करने और बेगुनाहों की हत्या करने वालों का नेतृत्व करने के आरोप लगते रहे हैं।
एकमात्र चश्मदीद गवाह मुख्तार सिंह ने आरोप लगाया था कि दंगों के दौरान हथियारों से लैस हमलावरों का नेतृत्व कमलनाथ कर रहे थे, जिन्होंने रकाबगंज गुरुद्वारे में तोड़फोड़ की। हालांकि, उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, जिससे साबित हो कि उन्होंने लोगों को उकसाया।
इन हमलों में कई सिखों को जिंदा जला दिया गया था। कमलनाथ ने आयोग के सामने कहा था कि वह घटना के दिन शाम को गुरुद्वारा साहिब पहुंचे थे, ताकि लोगों को शांत कर सकें।