नई दिल्ली। न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की एंट्री को लेकर न्यूजीलैंड ने अपना रुख नर्म कर लिया है लेकिन तुर्की अब भी पाकिस्तान के साथ नजर आ रहा है। इस बीच, चीन ने माना है कि भारत एनएसजी मेंबरशिप हासिल करने के करीब है।
उसका कहना है कि नरेंद्र मोदी को अमरीका, स्विट्जरलैंड और मेक्सिको से समर्थन मिल चुका है। 48 देशों के ग्रुप एनएसजी की अगली मीटिंग 24 जून को होनी है।
चीन का कहना है कि अगर नई दिल्ली को इस ग्रुप में शामिल कर लिया जाता है तो भारत-पाक के बीच परमाणु संतुलन टूट जाएगा। दूसरी तरफ न्यूजीलैंड ने कहा है कि एनएसजी के सदस्य बढ़ाने के लिए एक पैमाना होना चाहिए और सिर्फ किसी एक देश को इसमें शामिल करने के लिए ग्रुप को नहीं बढ़ाना चाहिए।
वहीं, तुर्की ने सीधे तौर पर तो भारत को सदस्यता दिए जाने का विरोध नहीं किया, लेकिन उसने कहा है कि भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों को एक साथ देखा जाना चाहिए।
विदेशी मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने समर्थन देने के लिए तुर्की को शुक्रिया कहा है। बता दें कि पिछले हफ्ते एनएसजी सदस्यों की वियना में बैठक हुई थी। इसके बाद खबरें आई थीं कि तुर्की उन चंद देशों में शामिल है जो एनएसजी में भारत को सदस्यता दिए जाने का विरोध कर रहे हैं।
खबर थी कि न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड और साउथ अफ्रीका भी भारत को एनएसजी का सदस्य बनाए जाने के समर्थन में नहीं हैं, क्योंकि भारत ने अब तक एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं।
न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रिया जैसे देशों के रुख में परिवर्तन अमेरिकी राजनयिक दबाव के बाद आया है। सेक्रेट्री ऑफ स्टेट जॉन कैरी ने एनएसजी के सभी सदस्य देशों को पत्र लिखकर भारत की सदस्यता के लिए आम सहमति का रास्ता बंद नहीं करने को कहा था। अजीज ने बुधवार को तुर्की और ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्रियों से बात कर पाक के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश की थी।
अजीज ने अर्जेंटीना की विदेश मंत्री सुसाना माल्कोरा से भी बात की थी। इसमें उन्होंने एनपीटी पर दस्तखत का मुद्दा उठाया था। उन्होंने इटली और रूस के विदेश मंत्रियों से भी बात की थी।