नई दिल्ली। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानी एनएसजी की सदस्यता पाने की कोशिश कर रहे भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। रूस ने साफ कर दिया है कि वो भारत को सदस्यता दिए जाने के दावे का समर्थन करेगा।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साथ ही यह भी कहा कि हम चीन से भी भारत की सदस्यता का विरोध करने का कारण पूछेंगे। एनएसजी देशों की अगली बैठक 20 से 24 जून तक सिओल में होगी। इस तरह भारत को रूस-ब्रिटेन समेत पांच देशों का समर्थन हासिल हो चुका है।
एक इंटरव्यू के दौरान पुतिन ने भारत के समर्थन की बात कही है। रूस का समर्थन हासिल कर लेना भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। एक लिहाज से देखा जाए तो अब सिर्फ चीन ही ऐसा बड़ा और ताकतवर देश है जो भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा है।
पुतिन ने कहा कि सिओल में होने वाली बैठक में हम भारत की सदस्यता का मुद्दा उठाएंगे। इतना ही नहीं, हम बैठक के दौरान चीन से ये जरूर जानना चाहेंगे कि वह भारत को इस इलीट ग्रुप का सदस्य बनाए जाने के आवेदन का विरोध क्यों कर रहा है?
उन्होंने ये भी कहा कि भारत के अलावा जो दूसरे देश एनएसजी में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं, उनके बारे में भी विचार किया जा सकता है।
पुतिन ने कहा कि किसी भी देश को सदस्यता दिए जाने का काम अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में रहकर ही किया जाना चाहिए। रूसी राष्ट्रपति ने भारत की तारीफ करते हुए ये भी कहा कि न्यूक्लियर सेफ्टी पर वह सक्रिय भूमिका निभाता है।
भारत और अमरीका के बीच बढ़ती दोस्ती पर पुतिन ने कहा कि इससे रूस और भारत के रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ सकता, क्योंकि दोनों बहुत पुराने और अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने ये भी कहा कि मोदी की विदेश नीति को लेकर भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं है।