जोधपुर/जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने कहा कि देश के कई हिस्सों से लोगों के पलायन की खबर उद्वेलित कर देती है।
ऐसे में हमारा दायित्व है कि पलायन कर रहे लोगों के मन से निराशा को दूर करें। यह मेरा देश है। यह मेरी भूमि है। ऐसी सोच विकसित करना ही शासन का दायित्व है।
भागवत रविवार को जोधपुर के हनवन्त आदर्श विद्या मन्दिर में हिन्दू साम्राज्य दिवस पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज दूरदर्शी एवं डायनेमिक व्यक्तित्व के स्वामी थे।
हिन्दू जीवन मूल्यों को आत्मसात कर समाज के सभी वर्गों को जोड़ने का कार्य शिवाजी ने किया। भारत में मुद्रण कला की शुरूआत एवं विकास उनके शासनकाल में हुआ। हिन्दुस्तान की पहली नौ सेना की परिकल्पना एवं निर्माण भी उनके द्वारा किया गया।
भागवत ने कहा कि दुनिया में विविधता अपरिहार्य है। इसको स्वीकार करना होगा। उन्होनें कहा कि मनुष्य अपने स्व के अनुसार जीना चाहता है, उसी से उसे सुख मिलता है एवं उसी से उसके स्वाभिमान की रक्षा होती है।
अतः शासन करने वाला तंत्र बिना किसी भेदभाव के सम्पूर्ण प्रजा के उत्थान हेतु कार्य करे। यही लक्ष्य होना चाहिए। इस दौरान शिवा जी महाराज का उदाहरण देते हुए उन्होनें कहा कि उपभोग शून्य स्वामी ही शासन करने योग्य है। उन्होंने कहा कि शिवाजी का व्यक्तित्व सम्पूर्ण रूप से अनुकरणीय है।
जिस प्रकार की विपरित परिस्थितियों में शिवाजी महाराज ने कठोर मेहनत से संघर्ष कर समाज को खड़ा कर समतायुक्त। शोषण मुक्त समाज की रचना की। संघ आज उसी प्रकार से समतायुक्त। शोषण मुक्त समाज को खड़ा करने का कार्य कर रहा है। संघ की नित्य शाखा में सभी गुणों से युक्त स्वयंसेवक तैयार हो।
समाज जीवन के सभी अंगों में प्रेरणा जगाएं और परम वैभव सम्पन्न देश बनाते हुए सम्पूर्ण विश्व के अमंगल का हरण करें और विश्व के लिए कल्याणकारी जीवन का उदाहरण अपने जीवन से सिखाएं।
माननीय सरसंघचालक के इस बौद्धिक उद्बोधन को लेकर पूरे शहर में उत्सुकता का माहौल था। सुबह 5 बजे से ही कार्यक्रम स्थल पर स्वयंसेवकों का सैलाब उमड़ने लगा। इसमें 5 वर्ष के बाल स्वयंसेवकों से लेकर 75 वर्ष तक के प्रौढ़ स्वयंसेवक भी शामिल थे। सभी में भारी उत्साह था।
इस अवसर महानगर कार्यवाह रिछपाल सिंह ने बताया कि सरसंघचालक के बौद्धिक को सुनने लगभग 5 हजार स्वयंसेवक सुबह ठीक 6 बजे एकत्र हो चुके थे। 1000 के करीब दुपहिया वाहन 500 के करीब चौपहिया वाहन और 50 के करीब बसे कार्यक्रम स्थल के बाहर खड़े थे।